Rajrishi
कार्य व्यवहार करते कर्मेन्द्रियो पर सम्पूर्ण नियंत्रण के साथ परमात्मा की याद ही स्थितप्रज्ञ स्थिति है- ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

सादर प्रकाश नार्थ
प्रेस विज्ञप्ति
*कार्य व्यवहार करते कर्मेन्द्रियो पर सम्पूर्ण नियंत्रण के साथ परमात्मा की याद ही स्थितप्रज्ञ स्थिति है- ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*
ब्रह्मा कुमारीज़ राज किशोर नगर में गीता ज्ञान का चौथा दिन
राजकिशोरनगर बिलासपुर: *गीता ज्ञान आही, घर-घर के महाभारत जाही* अभियान को लेकर श्रीमत् भगवत् गीता के चौथे दिन द्वितीय अध्याय पर चिंतन को आगे बढाते ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने कहा कि आज मनुष्य गृहस्थ व्यवहार मे रहते, आत्मा के भान एवं परमात्मा की निरंतर याद मे रह कर्म करे तो उसकी स्थिति भगवत् गीता के द्वितीय अध्याय के 54 से 72 वे श्लोक मे वर्णित स्थित-प्रज्ञ स्थिति अर्थात स्थिर बुद्धि को प्राप्त कर सकता है । परंतु मनुष्य आज गृहस्थ मे भी कामना, वासना, तृष्णा पूर्ति मे उलझकर घर को नर्क बना बैठा है। भगवत् गीता हमे घर-गृहस्थ को आश्रम बनाने की प्रेरणा देती है।
माँ की महिमा मे दीदी ने कहा कि जन्म देने वाली माँ, धरती माँ, महात्मा और परमात्मा का कर्ज हम कभी नही चुका सकते । परंतु आज एक पांचवी माँ यानि सिनेमा(मोबाइल माँ) ने सभी को इन चारों माँ से दूर कर दिया। आज अनैतिक आकर्षण रिश्तों मे निष्ठुरता पैदा कर रहा है और छोटे परिवार भी टूट रहे है।
दीदी ने कहा कि हम समर्पित ब्रह्माकुमारी बहनों का परिवार पूरा विश्व है और हम एक ईश्वर की संतान के नाते एक ही परिवार के है बशर्ते हम अपने को आत्मा समझे और परमात्मा से योग लगाकर आत्मा को शक्ति से भरते रहे। दीदी ने कहा कि जैसे लगातार लकड़ी काटने से कुल्हाड़ी की क्षमता कम होती जाती है और उसे समय समय पर तेज करना होता है उसी प्रकार राजयोग के अभ्यास से आत्मा को नित्य चार्ज करना आवश्यक है।
दीदी ने मन बुद्धि से सभा से निकल कर घर पहुंच कर आम खाने का अनुभव कराकर सहज राजयोग के अभ्यास की विधि बतायी। तनावरहित जीवन के लिये भगवत् गीता मे सही नींद का महत्व बताया है जिसे आज वैज्ञानिकों ने भी नींद की स्थिति मे उत्सर्जित अल्फा बीटा थीटा तरंगों से माध्यम से आवश्यक माना।
ब्रह्माकुमारी बहनों के साथ सभी ने मन मस्त फकीरी धारी है बस एक ही धुन जय जय भारत… और मुख मुरली बजाय… पर प्रस्तुत नृत्य का आनंद लिया ।