Rajrishi
परमात्मा के कार्य मे सहयोग देना ही गोवर्धन पर्वत उठाना है: ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*

*परमात्मा के कार्य मे सहयोग देना ही गोवर्धन पर्वत उठाना है: ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*
*भगवान की याद में रहने से हमारे सोचने का कार्य भी वो ही करते हैं…*
शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे
श्रीमद्भगवद्गीता के प्रसंग को आगे बढाते दीदी ने कहा कि परमात्मा के कार्य मे तन मन धन से सहयोग देने पर बहुत ऊँचा प्रारब्ध प्राप्त होता है।परमात्मा वरदान स्वरूप एक एक सहयोग के रिटर्न मे पदमगुना फल की प्राप्ति कराते है। 10 वे अध्याय को विभूति योग कहा जाता है।
परमात्मा कहते है आत्मा का शरीर के साथ संबंध लंबे समय चलता है जिसे जीवन कहते है लेकिन आत्मा के शरीर बदलने की प्रक्रिया कुछ सेकंड की होती है जिसे मृत्यु कहते है । जीवन ही संसार है इसलिए हे अर्जुन मृत्यु के भय से मुक्त हो जाओ।
परमात्मा हर संबंध निभाने तैयार है इसलिए योग मे बैठते समय किसी एक संबंध की गहराई से अनुभूति कर निराकार स्वरूप का अनुभव करना सहज होता है। लेकिन समाचार पत्रों, मीडिया मे नकारात्मक सूचनाएं अधिक होती है जो योग के समय विघ्न डालती है इसलिए सुबह की शुरुआत में इन सबसे बचना चाहिए। परमात्मा कहते है हे अर्जुन, अगर चित्त मे तुम सिर्फ मेरा ध्यान करोगे तो तुम्हारे सोचने का कार्य भी मै करूँगा।
इस प्रकार परमात्मा पर निश्चय होने पर अर्जुन कहते है केवल आप ही अपना सत्य परिचय दे सकते है । दीदी ने कहा इसलिए भगवान को स्वयंभू, खुदा भी कहा जाता है। 42 वे श्लोक मे परमात्मा कहते है हे अर्जुन तुम्हें ज्ञान के विस्तार मे जाने की आवश्यकता नही है, तुम सिर्फ मुझे सर्वोच्च मानकर यथार्थ रूप मे याद कर।