Rajrishi
मनोविकारों से युद्ध में विजय की प्रेरणा मिलती है श्रीमदभगवतगीता से – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*

*मनोविकारों से युद्ध में विजय की प्रेरणा मिलती है श्रीमदभगवतगीता से – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*
*साक्षात्कार से ही दादा लेखराज को ज्ञान यज्ञ स्थापना की प्रेरणा मिली:ब्रह्माकुमारी मंजू*
ब्रह्मा कुमारी बहनों ने श्रद्धालुओं पर केसर मिले हुए जल एवं पुष्पों की वर्षा कर मनाई होली…
आत्मिक स्मृति का तिलक लगा कर सभी को प्रसाद वितरण किया गया…
बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे जिज्ञासुओ को संबोधित करते हुए ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने कहा कि अब तक के चिंतन से स्पष्ट हो गया कि श्रीमद्भगवद्गीता में हिंसक नही बल्कि मनोविकारों से युद्ध का वर्णन है और समय वर्तमान संगमयुग का है। परमात्मा अतिसूक्ष्म ज्योति स्वरूप होते भी उनके विराट स्वरूप के साक्षात्कार को आगे स्पष्ट करते हुए दीदी ने कहा कि सिर्फ़ एक अर्जुन की बात नही है, कई दादीयो को कृष्ण और सतयुगी सृष्टि के साक्षात्कार हुए।
एक तरफ असुरों का प्रवेश और दुसरी तरफ देवताओ का आगमन यज्ञ के मूल उद्देश्य को बताता है कि परमात्मा नयी आत्माओ की रचना नही करते बल्कि मनुष्य आत्माओं के आसुरी प्रवृत्ति को बदल दैवीय गुणो की धारणा कराकर सतयुगी सृष्टि मे आने लायक बनाते है अर्थात मनुष्य से देवता बनाते है। इसके लिए परमात्मा के यथार्थ रूप को परमात्मा द्वारा दिये ज्ञान के आधार पर पहचानना होगा जिसका आधार प्रेम है । इसलिए ग्यारहवें अध्याय के अडतालिसवे श्लोक मे परमात्मा कहते है वेद अध्ययन, यज्ञ, तप, कर्मकांड, दान पुण्य से कोई भी जीवित प्राणी यहाँ तक स्वर्ग के देवता भी मेरे विराट स्वरूप को नही जान सकते। हृदय से चाहने वाला ही मुझे पा सकता है। दीदी ने कहा यह संगमयुग का ईश्वरीय जन्म देवताओ से भी श्रेष्ठ है ।
कार्यक्रम के अंत में ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी एवं अन्य बहनों ने उपस्थित श्रद्धालुओं पर पुष्पों व केसरयुक्त जल की वर्षा कर आध्यात्मिक होली मनाई। दीदी ने सभी को प्रसाद दिया।