दुख अशांति का आना संकेत हैं पुण्य कर्म करने का समय नजदीक
ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में ‘‘परमात्मा को भोग लगाने से भोगनायें समाप्त’’ विषय पर कार्यशा ला किया गया।
‘‘कर्मफल फसल की तरह हैं जिस प्रकार जब फसल आती है तो एक हिस्सा तो घर की पूर्ति करते हैं, दूसरा हिस्सा बेचने के लिए निकालते हैं और तीसरा हिस्सा जो कि भले ही मात्रा में कम होता है लेकिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है वो हिस्सा है भविष्य फसल के बीज के लिए जिसके आधार पर ही हम अगली फसल ले पाते हैं। इसी तरह कर्म के अनुसार हमें जो भी मिला है उसका खूब उपयोग करें परन्तु कुछ पुण्य कर्मों का हिस्सा ऐसा रखें जिससे अगली फसल मिल सके। जीवन में दुख, दर्द, अषांति, समस्याओं, भोगनाओं, कष्टों का आना हमें संकेत देता है कि हमें पुण्य कर्मों की कमाई की ओर ध्यान देने का समय आ गया है, हमें पुण्यों की आवष्यकता है। जब एक पापकर्म हमें बोझिल बना देता है तो अवष्य ही पुण्यकर्म हमें पवित्र, बोझमुक्त, समस्यामुक्त बना देंगे। वर्तमान समय गॉडली गिफ्ट लेने का समय चल रहा है। हम अपनी जो भी विषेषतायें परमात्म कार्य में, जनकल्याण के सेवाकार्य में लगाते हैं वह वर्तमान के साथ भविष्य में भी हमारे लिए गॉडली गिफ्ट बन जायेंगे।’’
उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र में माउण्ट आबू की गीता बहन के क्लास ‘‘परमात्मा को भोग लगाने से भोगनायें समाप्त’’ विषय पर मनन-चिंतन कार्यषाला के दौरान सारांष के रूप में आयी। साथ ही यह भी कहा गया कि परमात्मा से हमारे तीन रिष्त मुख्य हैं-पिता, षिक्षक व सत्गुरू। परमसत्गुरू को राजी करने के लिए हमें उनकी पसंद/नापसंद का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। उनकी पसंद में से मुख्य है दिल की भावना। दिल की भावना से बनाया गया भोग भक्ति व ज्ञान दोनों मार्ग में प्रचलित है। सृष्टि के पालनकर्ता कोई भोग के भूखे नहीं हैं वो तो भूखे हैं सच्ची भावनाओं के। कोई भी कर्मकाण्ड यज्ञ, तप, हवन, जीवन के कोई भी संस्कार प्रभु प्रसाद के बिना पूर्ण नहीं होते। प्रभु प्रसाद दुखभन्जन भोजन की तरह होते हैं क्योंकि प्रसाद में स्वयं भगवान की दृष्टि पड़ती है। तो हमें प्रसाद का बहुत ही सम्मान करना चाहिये। जिस प्रकार हम घर के मेहमान को कितने आदर भाव से खिलाते हैं, कितनी व्यवस्था करते हैं तो सृष्टि का सबसे बड़ा मेहमान स्वयं भगवान के लिए हमें क्या नहीं कर लेना चाहिये। यदि हम दिल की भावना से रोज भगवान को भोग लगायेंगे तो वो ये उसका वादा है कि वो कभी-भी हमें भूखा नहीं रखेगा।
ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में बाल संस्कार शिविर 9 मई से
क्लास 1 से क्लास 12 तक के बच्चे ले सकेंगे लाभ
‘‘प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईष्वरीय विष्व विद्यालय के टिकरापारा सेवाकेन्द्र के द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 9 मई से प्रातः 7 से 8.30 बजे 12 दिवसीय बाल संस्कार षिविर का भव्यता से आयोजन किया जा रहा है। शिविर में प्रातः स्मरण, दोहे, गीता श्लोक, नीति श्लोक, हनुमान चालीसा, खेल-खेल में योग, एरोबिक्स, आसन-प्राणायाम, योगनिद्रा, मेडिटेषन, मेमोरी ट्रिक्स, नैतिक षिक्षा, संस्कार निर्माण के आधार, संस्कार परिवर्तन एवं चरित्र निर्माण, सात्विक डाइट, न्यूट्रीशन एवं हैल्दी फूड हैबिट्स, इन्टरनेट से इनर नेट, इनर ब्यूटी, रोड टू सक्सेस, सेल्फ कॉन्फिडेन्स, कॉम्यूनिकेशन स्कील, पॉवर ऑफ मेडिटेषन एण्ड थॉट, मूल्यों से मूल्यवान जीवन, स्टूडेन्ट लाइफ इज़ द बेस्ट, भय से मुक्ति आदि विषयों को लिया जायेगा।’’