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Rajrishi

सात्विक मन के लिए शाकाहारी भोजन जरूरी – ब्र.कु. मंजू दीदी – ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में बाल संस्कार षिविर का दूसरा दिन

सात्विक मन के लिए शाकाहारी भोजन जरूरी – ब्र.कु. मंजू दीदी
ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में 12 दिवसीय बाल संस्कार षिविर का दूसरा दिन
‘‘षारीरिक स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक एवं संतुलित आहार ग्रहण करना चाहिये, हरी सब्जियों, दूध, मौसमी फलों आदि में प्रायः सभी पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं। प्राकृतिक आहार एवं जीवनषैली को अपनाकर हम सदा निरोगी एवं स्वस्थ रह सकते हैं यही स्वास्थ्य का मूल मंत्र है। शाकाहारी भोजन का मन व चेतना पर सात्विक प्रभार पड़ता है। इसके विपरीत मैगी, पास्ता, चाउमिन, पीज्जा, बर्गर आदि फास्टफूड, जंकफूड जैसे भोजन में पोषकता की कमी होती है और ये मोटापा, मधुमेह, हृदयरोग आदि बीमारियों का आह्वान करती हैं।’’
उक्त बातें प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईष्वरीय विष्व विद्यालय के टिकरापारा सेवाकेन्द्र के हार्मनी हाल में आयोजित 12 दिवसीय बाल संस्कार षिविर के दूसरे दिन डायमण्ड ग्रुप के बच्चों को संबोधित करते हुए सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी जी ने कही। आपने प्राणायाम का महत्व बताते हुए बच्चों से कहा कि भस्रिका, कपाल भाति, अनुलोम-विलोम जैसे प्राणायाम के अभ्यास से चेहरे में स्वतः ही नैचुरल ब्यूटी आती है, ब्यूटी पार्लर जाने की आवष्यकता नहीं होती। भ्रामरी एवं उद्गीथ प्राणायाम सुबह उठकर व रात में सोने से पूर्व 3-3 बार करने से मन की एकाग्रता बढ़ती है साथ ही नींद भी अच्छी आती है। साइंस, शास्त्र और ब्रह्माकुमारीज़ का सिद्धांत कहता है कि रात में अधिक से अधिक 10 बजे से पूर्व सो जाना चाहिये। इससे हम सुबह जल्दी उठ पायेंगे और एक घण्टे की पढ़ाई दस मिनट में ही कर सकते हैं। 5 मिनट मेडिटेषन, 15 मिनट आसन-प्राणायाम और चाहें तो वॉकिंग भी कर सकते हैं। साथ ही श्लोक के माध्यम से विद्यार्थियों के पांच लक्षण बताते हुए कहा कि कौंए की तरह चेष्टा रखने वाला चतुर, बगुले की तरह ध्यान रखने वाला, कुत्ते की झट से उखड़ जाने वाली नींद, कम भोगविलासी, कम आहार लेने वाला और भौतिक संसाधनों से दूरी रखने वाला – ये एक सच्चे और अच्छे विद्यार्थी के पांच लक्षण हैं।
मंजू दीदी ने जानकारी दी कि आज से अभिभावकों के लिए इफेक्टिव पैरेन्टिंग विषय पर सायं 7 से 8.30 बजे विषेष क्लास आयोजित किया जा रहा है। अपने बच्चों के नैतिक, चारित्रिक, बौद्धिक एवं आध्यामिक विकास के लिए सभी अभिभावक सेवाकेन्द्र पर अवष्य पधारें।
बड़ों का करें आदर व छोटों को बांटे प्रेम – ब्र.कु. डॉ. संगीता
वहीं ब्र.कु. डॉ. संगीता बहन एवं कु. गौरी बहन ने एन्जिल ग्रुप के बच्चों को खेल-खेल में संस्कारों की षिक्षा देते हुए कहा कि वाणी को मधुर बनायें व सभी को सम्मान दें, बड़ों का आदर करें व छोटों को प्यार दें। राजा व परी की कहानी के माध्यम से परदर्षन से मुक्त रहने व संतुष्ट रहने की षिक्षा दी। पूर्णिमा बहन ने हाथों व पैरों के सूक्ष्म आसनों का अभ्यास कराया। गौरी बहन ने भगवान की बगिया के फूल हैं हम सारे बच्चे…. गीत पर एक्षन डांस सिखाया। अंत में तनिष्क, दीपाली, अजय व सिमरन ने सीखी हुई बातों का सार सुनाया।
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