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Brahma Kumaris Raj Kishore Nagar

यम के एक ही व्रत में मनुष्य को दिव्य पुरुष बनाने की है शक्ति – आचार्य नरेंद्र देव।

यम के एक ही व्रत में मनुष्य को दिव्य पुरुष बनाने की है शक्ति – आचार्य नरेंद्र देव।

शांति के लिए यम के पांच महाव्रत का जीवन में संतुलित स्थान हो

बिलासपुर टिकरापारा – अष्टांग योग के आठ सूत्र हैं जिसमें पहला है यम। अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह ये यम के पांच प्रकार हैं। ये सभी अपने आप में महाव्रत हैं, एक व्रत भी सही रीति धारण करने से संसार में अति श्रेष्ठ उदाहरण बन जाते हैं जैसे अहिंसा के महाव्रत का पालन करने वाले महावीर हैं, ब्रह्मचर्य- हनुमान जी महाराज और हरिश्चंद्र जी सत्य के अति उत्तम उदाहरण है।

 

उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में साधकों को सम्बोधित करते पतंजलि योग समिति के छग, मप्र व राजस्थान के प्रभारी स्वामी नरेंद्र देव ने कही।

 

उन्होंने यम का विस्तार करते हुए कहा कि मन, वाणी या कर्म से ठेस न पहुंचाना ही *अहिंसा* है, किसी को वाणी से अपशब्द कहना, शरीर के द्वारा मारपीट करना एवं मन में गलत भावनाएं – जैसे दूसरों के रोग- शोक पर आनंद आना – यह हिंसात्मक भावना अथवा कर्म है जो मन को शांत रहने नहीं देगी

 

दूसरा है *सत्य* लेकिन। जो व्यक्ति बात-बात झूठ बोलते रहते हैं छोटे-छोटे बातों में झूठ बोलते रहते हैं छोटे-छोटे कार्यों के लिए झूठ बोलते रहते हैं झूठ के रास्ते पर चलते रहेंगे तो कभी भी हमारी यात्रा पूर्ण नहीं हो सकती जो हमारे गुरु चाहते हैं अतः शांति के लिए सत्य भी जरूरी है

 

तीसरी बात *अस्तेय* अर्थात चोरी नहीं करना, आसक्ति नहीं रखना जैसे मन में सोचा कि फलाने के पास गाड़ी/ धन/ महल/ साड़ी अथवा गहने आदि हैं वह मेरे पास भी हो तो यह भी अशांति का कारण है इसके बदले यह सोच हो कि मेरे पास सामर्थ्य प्रमाण सभी कुछ है।

 

चौथा *ब्रह्मचर्य* जो कि बहुत आवश्यक है जीवन में जिसकी कमी से रोग होते हैं हम जितने विषयों को भोगते हैं उतने ही रोग होते हैं शरीर में क्षीणता आती है

*अपरिग्रह* – अनावश्यक संग्रह जैसे गलत शब्द, मन में गलत भाव या बाहरी वस्तुएं जैसे कागज, बोतल, कपड़े, सोना, चांदी, जेवर आदि अनावश्यक रूप से संग्रह करते जाना एवं बार-बार वही याद आना भी चिंता का कारण बन जाता है और हम मुक्त रूप से रह नहीं सकते, बंध जाते हैं

 

इन गुणों का आपने ब्रह्मा कुमारीज के सिद्धांतों सें मेल करते संस्था के कार्यों की प्रशंसा करते यह भी प्रसन्नता व्यक्त किया कि पतंजलि के कार्यक्रम में आदरणीय मंजू दीदी जी का सानिध्य एवं आशीर्वाद प्राप्त होता है।

 

मंजू दीदी जी ने भी बताया कि ब्रह्मा कुमारीज की भूतपूर्व मुख्य प्रशासिका आदरणीय प्रकाश मणी दादी जी भी संतों का विशेष सम्मान किया करती थी,

स्वयं परमात्मा शिव बाबा भी संतो को कहते हैं कि इनकी पवित्रता के बल से पृथ्वी थमी हुई है।

 

इस अवसर पर ब्रह्मा कुमारीज के सभी साधक गणों के साथ विशेष रूप से लायंस क्लब कैपिटल के अध्यक्ष डॉ लव एवं पतंजलि जिला प्रभारी कुश श्रीवास्तव भी उपस्थित थे।