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Rajrishi

सोच की ऊंचाई देगी निरंतर खुषी – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

प्रेस-विज्ञप्ति
सोच की ऊंचाई देगी निरंतर खुषी – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र में युवा संस्कार षिविर का पहला दिन
आध्यात्मिकता से सुरक्षा व डिस्कव्हर एण्ड एप्रीषियेट द सेल्फ विषय पर डाला गया प्रकाष
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‘‘हम अपना लक्ष्य प्राप्त कर लें, बहुत अधिक धन कमा लें, बहुत सारे भौतिक साधन भी इकट्ठा क्यों न कर लें लेकिन यदि हमारी सोच नकारात्मक होगी तो हम सदा खुष नहीं रह सकते। इसलिये ऊंची सोच ही युवा की पहली खोज होनी चाहिये। यदि आपकी सोच किसी चीज को प्राप्त करने के लिए दृढ़ हो, तो सारी कायनात की शक्ति उसे आपको प्राप्त कराने के लिए लग जाती हैं। रात को सोने से पूर्व के विचार हमारे दिनभर के क्रिया के क्षेत्र में असर डालते हैं। इसलिए सोने के पूर्व कम से कम पांच मिनट अच्छे विचार जरूर लें। कोई अच्छे विचार न चलें तो कम से कम एक विचार लें कि परमषक्ति परमात्मा, भगवान मेरे साथ हैं तो दुनिया की कोई भी ताकत मुझसे मेरी शान्ति व शक्ति को छीन नहीं सकता।’’
उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र के हार्मनी हॉल में आयोजित पांच दिवसीय युवा संस्कार षिविर – ‘‘ऊंची सोच-युवा की खोज’’ के पहले दिन सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कही। आपने आगे कहा कि यदि हम कम समय में और कम मेहनत में अधिक प्राप्ति करना चाहते हैं तो हमें रात को जल्दी सोना होगा और सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई या जो भी अन्य आवष्यक कार्य हैं वो करना होगा क्यांकि प्रातःकाल के समय में डिस्टर्बेन्स नहीं होता, वातावरण शांत रहता है। अपना हूनर कभी भी छिपाकर नहीं रखना चाहिये, उसे समय प्रमाण कार्य में लगाते रहना चाहिये क्योंकि जब हूनर मेहनत नहीं करता, तब मेहनतकष हूनरमंद पर भारी पड़ जाता है। इसलिए मेहनत लगातार करते रहें।
साथ ही आपने युवाओं से आह्वान भी किया कि वे अपने चरित्र का भी ख्याल रखें, चरित्र का पतन कभी न करें क्योंकि जब तक खराब चरित्र छिपा हुआ है तब तक तो कुछ नहीं होता लेकिन जिस दिन वह सामने आ जाता है तब हम किसी को चेहरा दिखाने के काबिल नहीं रहते और हमारा आत्मबल भी कमजोर हो जाता है। शारीरिक लगाव तो आकर्षण मात्र है या प्यार भी है तो वह केवल अल्पकाल का प्यार है। प्यार करना बुरा नहीं है लेकिन जीवन को गलत दिषा की ओर ले जाना गलत है। माता-पिता का प्यार सबसे गहरा होता है। वे हमें जो भी बातें कहते हैं वह हमारे भले के लिए ही कहते हैं क्योंकि वे भी इस एज से गुजर चुके होते हैं, अनुभवी होते हैं। गलती किससे नहीं होती लेकिन यदि हम अपनी परेषानियों को अपने अभिभावक से शेयर करेंगे तो उसका हल अवष्य निकलेगा। जिसके अंदर आध्यात्मिक ताकत है वह जीवन की परीक्षाओं में कभी असफल नहीं हो सकता। असफलता ही सफलता की सीढ़ी है।
दीदी ने जानकारी दी कि दूसरे दिन के षिविर का बहुत सुंदर विषय है कि इन्टरनेट से इनरनेट, जो कि मुम्बई से पधार रहीं विषेषज्ञ बहन ब्रह्माकुमारी कविता के द्वारा ली जायेगी।
भ्राता सम्पादक महोदय,
दैनिक………………………..
बिलासपुर (छ.ग.)

 

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