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Rajrishi

युवा संस्कार षिविर के चौथे दिन जीवन का बहीखाता विषय पर दिया गया व्याख्यान

प्रेस-विज्ञप्ति
हमारे साथ जो भी होता, उसके जिम्मेवार हमारे ही कर्म हैं – ब्र.कु. कविता
कर्मों की सूक्ष्म से सूक्ष्म गति पर डाला गया प्रकाष
युवा संस्कार षिविर के चौथे दिन जीवन का बहीखाता विषय पर दिया गया व्याख्यान
‘‘जीवन के साथ ही हमारे कर्मों का हिसाब किताब शुरू हो जाता है। इसकी और गहराई तक जायें तो ये एकाउण्ट केवल एक जन्म तक सीमित नहीं है यह जन्म-जन्मांतर हमारे साथ ही चलते हैं जो कि नये जन्म में ओपनिंग बैलेन्स के रूप में हमारे साथ आते हैं और मृत्यु के समय क्लोज़िंग बैलेन्स के रूप में हमारे साथ जाते हैं। जैसे कई बार हमारे साथ होता है कि हमने किसी की मदद की लेकिन वह कृतज्ञ होने के बजाय हमसे दूरी बना लेता है, स्वास्थ्य का इतना ध्यान रखने के बावजूद भी बीमारी का आना, अचानक मूड ऑफ हो जाना, सबसे प्यार से रहने के बाद भी धोखा मिलना – ये सभी हमारे पूर्व जन्म के विकर्मों के हिसाब हैं इसी तरह कई बार हमने सोचा भी नहीं होता लेकिन हमारे साथ अच्छा होने लगता, खुषी की अनुभूति, अचानक जॉब लग जाना, छोटे से बड़े प्रोजेक्ट का मिल जाना, कम मेहनत से भी उन्नति कर जाना – ये सभी हमारे पूर्व जन्म के पुण्यों का जमा खाता होता है। इसलिए जीवन में जो भी हमारे साथ घटित होता है उसके जिम्मेवार हमारे ही कर्म होते हैं भगवान का इसमें कोई रोल नहीं होता। भगवान तो हमारे मात-पिता हैं। और कोई भी मात-पिता अपने बच्चे का भाग्य दुखदायी नहीं लिखेगा, वह तो चाहेगा कि मेरे बच्चे का भाग्य श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ ही होगा। इसलिए ये अवधारणा छोड़ दें कि परमात्मा हमारा भाग्य लिखता है परमात्मा का रोल तो है-यथार्थ कर्म सिखलाना और हमारा रोल है उस विधि को सीखकर कर्म करना।’’
उक्त विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईष्वरीय विष्व विद्यालय के टिकरापारा सेवाकेन्द्र में आयोजित युवा संस्कार षिविर के चौथे दिन बैलेन्स शीट ऑफ लाइफ विषय पर युवाओं को संबोधित करते हुए मुंबई से पधारीं ब्र.कु. कविता बहन ने दिये। आपने कर्म की सूक्ष्मता बताते हुए कहा कि कर्म केवल देखना, सुनना, बोलना, चलना-फिरना या केवल जो दिखायी दे, वो ही कर्म हैं बल्कि कर्म करते हुए हमारी मानसिक स्थिति भी हमारे अच्छे व बुरे कर्म बनाते हैं। हम पूर्व में बहुत से कर्म कर चुके हैं जिसके कर्मफल से अपने को बचा नहीं सकते। लेकिन वर्तमान में यदि हम लगातार अच्छे से अच्छा, पॉज़िटिव से पॉज़िटिव कर्म करते रहे तो हमारे बुरे कर्मां का हिसाब सूली से कांटे की तरह ही रह जायेगा। हम ईंट का जवाब ईंट या पत्थर न देकर फूलों से दें। क्योंकि यदि पत्थर मारेंगे तो हमारा ही हाथ दर्द करेगा, यदि हम फूल देंगे तो हाथों से खुषबू आने लगेगी।
अपनी प्रतिक्रिया का रिमोट कण्ट्रोल दूसरों के हाथ में न दें।
लोग क्या करते, मेरी प्रतिक्रिया का संबंध उससे न हो। आज हमने अपना रिमोट कण्ट्रोल दूसरों के हाथ में दे रखा है कि गुस्सा करने वाला हमारे सामने हो तो हम भी गुस्सा करने लगते, कोई प्यार से बात करता तो हम भी प्यार से बात करते। अपने व्यवहार को बिजनेस ट्रांजेक्षन बना लिया है इसका मुख्य कारण है अपनी वास्तविकता को भूलना कि हम आत्मा हैं और हमारे मूलभूत गुण हैं- सुख, शांति, आनंद, प्रेम, पवित्रता, ज्ञान और शक्ति। पॉज़िटिव कर्म वे कर्म हैं जो हमारे मूलभूत गुणों से जुड़े हुए हैं। और इसका मुख्य स्रोत है परमात्मा, जो प्यार, शांति, पवित्रता, सर्व गुणों के सागर हैं उनसे जब हम अपना संबंध जोड़ते हैं तो हमारे अंदर स्वतः ही प्यार, शांति, सुख आने लगता है।
दुआएं कमाना अपना परपज़ बना लें…
अपने पूर्व के कर्मों का कड़ा हिसाब हल्का करने एवं भविष्य को श्रेष्ठ बनाने के लिए हमें अपनी वर्तमान जीवन की यात्रा में दुआएं कमाने पर विषेष ध्यान देना होगा, भले ही इसके लिए हमें झुकना पड़े, मोल्ड होना पड़े, क्षमा करना पड़े लेकिन दुआएं कमाना है। भगवान ने भी मेरी कितनी भी गलतियों के लिए क्षमा किया है। दुआएं देना व दुआएं कमाना अपना परपज़ बना लें क्योंकि मेरा कर्म ही मेरा भाग्य निष्चित करता है।
गॉड इज़ वन की गहराई में जरूर जायें – कैलाष अग्रवाल 
इस अवसर पर बिलासपुर के ख्यातिप्राप्त व्यापारी कैलाष अग्रवाल ने अनुभव साझा करते हुए कहा कि परमात्मा एक है उसका सत्य परिचय उसके अलावा कोई भी नहीं जानता और जो वर्तमान समय में डायरेक्ट इस धरती पर आकर अपना परिचय राजयोग की षिक्षा के माध्यम से दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बात की गारंटी है कि यदि हम कम से कम दो माह तक प्रतिदिन यहां का सत्संग करते हैं तो जीवन के सभी प्रष्नों का उत्तर हमें मिल ही जायेगा।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में युवा, आधारषिला मंदिर के डायरेक्टर अजय श्रीवास्तव एवं अन्य नागरिक उपस्थित हुए।
भ्राता सम्पादक महोदय,
दैनिक………………………..
बिलासपुर (छ.ग.)

 

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