प्रेस-विज्ञप्ति
तनावमुक्ति परिवर्तन की ओर प्रयास – ब्र.कु. पारूल बहन
सी.आर.पी.एफ भरनी में पुलिस अधिकारीयो के लिए तनावमुक्ति विषय पर ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा द्वारा कार्यक्रम का आयोजन,
‘‘आज के समय में हम सभी के जीवन में तनाव ने जड़ जमा लिया है और बढ़ते ही जा रहा रहा है। इस बात को हम जान ले, कि तनाव को जीवन में बढ़ावा देने में हम स्वयं ही जिम्मेदार है। यदि इस दृश्य को देखे तो आज हमारे पास साधन बहुत है जिसके माध्यम से हम पुरी दुनिया को समझ सकते है, लेकिन क्या हमने स्वयं को समझने का प्रयास किया है सारे दिन मे ंसबसे ज्यादा हम परिस्थिति, व्यक्ति या अन्य साधनो के व्यर्थ चिंतन मे बीता देते है, झसलिए हमारे मन की तुलना घोड़े से की गई है हमारा मन भी विचारो रूपी घोड़े मे सवार होकर आंधी की तरह भागता है। और जो हम नही चाहते वही परिस्थिति हमारे सामने आ जाती हैं, जब किसी भी परिस्थिती का दबाव आता है तो इस परिस्थिति में जो हमारे अंदर होगा वही बाहर निकलेगा। किन्तु मेड़िटेशन एक ऐसा माध्यम है जिससे हम अपने मन को तनाव से मुक्त कर शांति और शक्ति की अनुभूति कर सकते है। ’’
उक्त विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईष्वरीय विश्व विद्यालय के टिकरापारा सेवाकेन्द्र में मुंबई से पधारे ंब्र.कु. पारूल बहन ने सी.आर.पी.एफ के जवानो को संबोधित करते हुए कही। आपने बताया कि, हम जीवन मे दर्द को अपने साथ लेकर ही चलते रहते है, और ये दर्द जल्द ही तनाव का रूप ले लेता है। हम सभी को ये अनुभव होगा कि जब ये तनाव किसी परिस्थिती के आने से दबाव के रूप में जलते हुए कोयले की तरह लगता है, जैसेः- जलते हुए कोयले को यदि हम किसी को मारने के लिए उठाते है तो सबसे पहले दर्द का अनुभव स्वयं को होगा। क्योकि कोयला हमने उठाया है, लेकिन उस समय हमारा मन इतना अशांत होता है कि हम चाहते कुछ और है और कर कुछ और देते है। हम स्वयं का कितना नुकसान कर रहे है वो हमे समझ नही आता, क्योकि तनाव की अग्नि हमारे सोचने, समझने और सही निर्णय करने की शक्ति को जला देती है और जब हम टुकड़े को अपने हाथ से फेक देते है तो फेकने के बाद जो प्रतिक्रिया आती है उसके बाद हमारी शिकायत शुरू होती है, कि ऐसा हमारे साथ ही क्यो होता है लेकिन तब हम भूल जाते है कि न्यूटन का तीसरा सि़़द्धांत कहता है। कि हर क्रिया की समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है झसलिए हमे अपने कर्मो पर विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। और तनाव से मुक्त होने के लिए मेड़िटेशन करना आवश्यक है।
कार्यक्रम के समाप्ति पर ब््रा.कु पारूल बहन ने उपस्थित सभी पुलिस अधिकारियो को मेड़िटेशन का अनुभव करवाकर, उस परमशक्ति से स्वयं को जोड़कर तनावमुक्त जीवन जीने की कला सीखलाई।
ै
भ्राता सम्पादक महोदय,
दैनिक………………………..
बिलासपुर (छ.ग.)