‘‘दुनिया मे कई प्रकार के योग प्रचलित है लेकिन राजयोग मेंडिटेषन में विकारों का सन्यास करने, बुराईयों से हठपूर्वक दूर रहने, ज्ञानयुक्त भक्ति करने, कर्म करते योगयुक्त स्थिति, बुद्धि उस परमात्मा से जोड़े रखने एवं कर्म व योग के संतुलन के कारण सभी योग जैसे सन्यास योग, हठयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग, कर्मयोग, बुद्धियोग, समत्वयोग षामिल हैं इसलिए राजयोग को सभी योगो का राजा कहा गया है। योग अर्थात् तन और मन का जुड़ाव। जब हम योग की गहराई में जायेंगे तब उस परमसत्ता का अनुभव कर पायेंगे। षरीर के माध्यम से आत्मा कर्म करती है परन्तु पूरा जीवन निकल जाता है और हम स्वयं की सत्ता का अनुभव नहीं कर पाते हैं। किसी ने बहुत अच्छा कहा कि ’’रूह और जिस्म का अजीब इत्तेफाक है, उम्र भर साथ रहे पर रू-ब-रू न हो सके।‘‘ इसी प्रकार आत्मा और षरीर दोनों का घनिष्ठ संबंध है परन्तु जीवन पर्यंत आत्मा षरीर का और षरीर आत्मा का अनुभव नहीं कर पाती है। तो इसकी अनुभूति के लिए उस परमषक्ति परमात्मा में स्वयं के मन को एकाग्र कीजिए। कभी किसी से दूर हो जाते हैं तो कहते हैं कि उसका वियोग हो गया है ऐसे ही परमात्मा के साथ योग, आत्मा, षरीर और प्रकृति के साथ जुड़ाव की महसूसता ही योग है।‘‘
उक्त बातें महाराजा रणजीत सिंह सभागार में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आयोजित निःषुल्क सात दिवसीय योग षिविर में आईएएस/पीएससी, कैरियर पॉइण्ट, गुरूनानक स्कूल, खालसा स्कूल, नेषनल स्कूल के स्टूडेण्ट्स, ब्रह्माकुमारीज़ के सदस्य एवं शहर के नागरिकगणों संबोधित करते हुए टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी जी ने कही।
योग की धारणा से मन को अपना साथी बना लें-किरण चावला
कैरियर प्वाइंट के संचालक भ्राता किरण चावला जी ने कहा कि जीवन में ज्ञान तो बहुत जरूरी है और जब वो ज्ञान अनुभव के रूप में हम प्राप्त हो तभी वो ज्ञान काम का है नहीं तो वो सिर्फ सूचना है। जिस प्रकार शरीर के सभी अंग मिलकर शरीर की रचना करते हैं उसी प्रकार योग को समझने के लिए उसके आठ अंगों को हमें समझना होगा जिसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि शामिल हैं। वास्तव में सिर्फ आसन, प्राणायाम ही योग नहीं है, ये जीवन जीने की कला है। योग भारत की देन है भारत को पूरा विष्व आध्यात्मिक गुरू के रूप मे देख रहा है। आप किसी भी महान व्यक्ति के बारे में देखेंगे तो पायेंगे कि उन्होने ने भी अपने जीवन में योग साधना को विषेष महत्व दिया है। और अगर मन हमारा साथ दे तो वो हमारा सबसे बड़ा दोस्त है और साथ ना दे तो सबसे बड़ा शत्रु है इसलिए योग की धारणा अपने जीवन में अवष्य अपनाए। भ्राता सुनील टूटेजा जी ने भी योग को जीवन का अंग बनाने की बात कही एवं सभी को अपनी शुभकामनायें दी।
साधकों ने साझा किये अपने अनुभवः
इस अवसर पर स्टूडेट्स ने योग षिविर के दौरान हुए अपने अनुभवों को साझा किया और कहा कि इन सात दिनों में लगातार योग करने से पूर्व योग-आसन करने में हमें रूचि नहीं होती थी लेकिन यहां आने के बाद स्लिप डिस्क में आराम मिला है व मेडिटेषन करने से नींद अच्छी आने लगी है और पढ़ाई में भी मन लगता है। साथ ही जीवन में सकारात्मक परिवर्तन को महसूस किया तथा जीवन में इस दिनचर्या को अपनाने का संकल्प लिया है। आध्यात्म से निकटता के साथ खुद से भी निकटता का अनुभव हुआ है। पहले अपने आप को निग्लेक्ट करते थे लेकिन यहां की प्रेरणाभरी बातों से स्वयं का सम्मान करना व परमात्मा से प्रेम करना सीखा।
योगा इन्सट्रक्षनल मैन्यूअल का हुआ विमोचन :
इस अवसर पर अपोलो हॉस्पीटल के असिस्टेंट मैनेजर एवं योगा इन्सट्रक्टर डॉ. अजय जाडे जी के द्वारा लिखित योगा इन्सट्रक्षनल मैन्यूअल का आज विमोचन हुआ।
भ्राता सम्पादक महोदय,
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बिलासपुर (छ.ग.)