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Rajrishi

नारी शक्ति की साक्षात् मिसाल ब्रह्माकुमारीज़- भवानीष्ांकर नाथ मातेष्वरी जी की 52वीं पुण्यतिथि पर ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा के सदस्यों ने दी श्रद्धांजलि

‘‘आज के समय में समाज में महिला सषक्तिकरण के लिए होने वाले प्रयास बहुत तीव्र हो गए है। महिलाओ को सम्मान दिलाने हेतु बहुत से नियम कानून बन गए है। लेकिन सन् 1937 में ही परमात्मा ने ब्रह्माकुमारीज संस्थान में बहनों को संस्था की बागडोर सौंप कर समाज में नारी सषक्तिकरण का सुंदर मिसाल प्रस्तुत किया अर्थात् नारी शक्ति को प्रत्यक्ष किया जिसकी प्रथम प्रषासिका जगदम्बा सरस्वती ‘‘ओम राधे’’ रहीं। इनके सकारात्मक परिवर्तनों को देख मन में इस संस्था के कार्यो के प्रति बहुत सम्मान जागृत हुआ है।
उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ की प्रथम मुख्य प्रषासिका मातेष्वरी जगदम्बा सरस्वती जी की 52वीं पुण्यतिथि के अवसर पर टिकरापारा सेवाकेन्द्र के हार्मनी हॉल में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रेल्वे पुलिस फोर्स के सीनियर डिवीज़नल सिक्यूरिटी कमिष्नर भ्राता भवानी शंकर नाथ जी ने कही। आपने इस संस्था के साकार संस्थापक पिताश्री ब्रह्माबाबा के विषय में कहा कि महिलाओं को इस आध्यात्म क्रांति का आधार बनाकर सषक्त करना, ऐसे दिव्य संकल्प परमात्मबुद्धि से युक्त व्यक्ति में ही आ सकते हैं। महिला सषक्तिकरण के कार्य को इतनी कुषलता से किए जाने के प्रयास को देख गर्व की अनुभूति होती है।
पवित्रता, गम्भीरता, त्याग व तपस्या की प्रतिमूर्ति थीं मम्मा – ब्र.कु. मंजू दीदी
इस अवसर पर सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी जी ने मातेष्वरी जी ;मम्माद्ध की विषेषताओं पर प्रकाष डालते हुए कहा कि मम्मा शीतल स्वभाव, गम्भीरता, मीठे बोल, शांति की अवतार थीं, प्रेममूर्त थीं। उनके संबंध में इतनी स्वच्छता, पवित्रता की शक्ति थी जो जगदम्बा बन गई। वे एकांत का अभ्यास करने के लिए रोज सवेरे 2 बजे उठकर परमात्मा की याद में रहने की तपस्या करतीं थीं। उन्हें परमात्म महावाक्यों पर जरा भी संषय नहीं था, वे पूर्ण निष्चयबुद्धि होकर हर श्रीमत का पालन करती थीं। उनके जीवन के दो महामंत्र रहे कि ‘‘हर घड़ी हमारी अंतिम घड़ी है’’ और 2. ‘‘ हुक्मी हुक्म चला रहा है’’ वे इसे सदा याद रखतीं और सबको याद दिलाती रहीं और इन्हीं मंत्रों के आधार पर नष्टोमोहा स्मृति स्वरूप बन गईं।
अंत में सभी ने मातेष्वरी जी को श्रद्धांजलि दी और उनके निमित्त भोग लगाकर सभी ने संकल्पित होकर भोग स्वीकार किया। मंजू दीदी ने सभी को आज के विषेष संकल्प को एक कागज पर लिखकर आइने के पास लगाकर रोज उसे स्मृति में लाने को कहा इससे स्वयं पर अटेन्षन रहेगा और जीवन में परिवर्तन सहज हो जायेगा।
भ्राता सम्पादक महोदय,
दैनिक………………………..
बिलासपुर (छ.ग.)

 

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