प्रेस-विज्ञप्ति 1
किसी भी पद से प्रधान है कर्म की समर्पणता – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
लिमतरी व रहंगी बस्ती में एनएसएस के युवाओं को प्रेरणात्मक बातों से किया प्रेरित
‘‘पुराने समय में श्रीराम व श्रीकृष्ण ने गुरूकुल में जाकर विद्या ग्रहण की थी जहां हर कार्य के महत्व बताया जाता था, भिक्षा मांगना, झाड़ू-पोछा, जंगल से लकड़ी काटकर लाना आदि सभी कार्य हर एक षिष्य से कराया जाता था चाहे वह गरीब हो या राजकुमार ही क्यों न हो ताकि जब वह राजा बने तब हर कार्य के अनुभव के साथ एक सही निर्णय दे सके। इसलिए जीवन में पद से अधिक कार्य के प्रति समर्पणता का महत्व है। वो परमषक्ति हमें सदा देख रहे होते हैं वे हमें स्वतः ही आगे बढ़ा देते हैं। युवा वायु की तरह है जो जागृत और सषक्त हो जाये तो वह वायु की तरह वातावरण का परिवर्तन कर सभी को आगे बढ़ सकते हैं। लेकिन जब हम कम उम्र में ही शारीरिक आकर्षण या लगाव में फंस पड़ते हैं और किसी से धोखा मिल जाता है तो डिप्रेषन की ओर चले जाते हैं और मानसिक, आर्थिक, सामाजिक सभी प्रकार की प्रगति रूक जाती है। ’
ये बातें छ.ग. योग आयोग की सदस्य व टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने लिमतरी व रहंगी बस्ती में आयोजित राष्ट्रीय सेवा योजना के षिविर में उपस्थित युवाओं को संबोधित करते हुए कहीं। आपने युवाओं को तन, मन, धन और सम्बन्धों में स्वच्छता की, बौद्धिक, भावनात्मक, नैतिक व आध्यात्मिक गुणांक को बढ़ाने के लिए मेडिटेषन के महत्व की बातें बताईं और युवा शक्ति पर आधारित गीत के माध्यम से सभी को शारीरिक एक्सरसाइज, यौगिक जॉगिंग का अभ्यास कराया। इस अवसर पर शासकीय जमुना प्रसाद वर्मा महाविद्यालय के षिक्षकगण एवं आयोजकगण उपस्थित रहे।
प्रेस-विज्ञप्ति 2
आत्मा को चार्ज करने की विधि है राजयोग मेडिटेषन – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में राजयोग षिविर का दूसरा दिन
सरलता व प्रेम की डिमाण्ड सभी को है लेकिन हम दे नहीं पा रहे हैं क्योंकि जिस प्रकार एक डिस्चार्ज बैटरी किसी डिस्चार्ज बैटरी को चार्ज नहीं कर सकती। उसी प्रकार आत्माएं भी डिस्चार्ज हो गई हैं। हमारे सोच, बोल, कर्म बदल गये हैं, सरल व्यवहार, आपसी प्रेम, भाईचारे की भावनाएं लगभग समाप्त हो गई हैं जो डिस्चार्ज होने के लक्षण हैं। आत्मा को चार्ज करने की विधि का नाम ही राजयोग मेडिटेषन है।
ये बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र में चल रहे सात दिवसीय निःषुल्क राजयोग षिविर के दूसरे दिन के सत्र में षिविरार्थियों को संबोधित करते हुए ब्र.कु. मंजू दीदी जी ने कही। साथ ही हम शरीर के हैल्दी डाइट का ध्यान तो रखते हैं। शरीर के लिए हम दिन में दो, तीन या चार बार भोजन करते हैं लेकिन हमारे मन के हैल्दी डाइट का ध्यान हम बिल्कुल नहीं रखते। हम क्रोध, ईर्ष्या, नफरत, नकारात्मक, व्यर्थ विचारों के बारे में सोचते रहते हैं। हमें यह जानना जरूरी है कि पांच मिनट क्रोध की स्थिति हमारे दो घण्टे कार्य करने की क्षमता को नष्ट कर देती है। लेकिन सकारात्मक चिंतन के साथ बीस मिनट का मेडिटेषन हमारे आठ घण्टे की थकान को दूर कर देता है। तीसरे दिन के सत्र में गाइडेड मेडिटेषन का अभ्यास व मन, बुद्धि एवं संस्कार की गहराई पर प्रकाष डाला जायेगा।
भ्राता सम्पादक महोदय,
दैनिक………………………..
बिलासपुर (छ.ग.)