प्रेस-विज्ञप्ति
एनर्जी के अल्टीमेट स्रोत हैं षिवबाबा – गौरीदत्त शर्मा
ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा आयोजित महाषिवरात्रि महोत्सव में बिलासपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति, आरपीएफ के मुख्य सुरक्षा आयुक्त ने की षिरकत
‘‘षिवलिंग एनर्जी का सबसे बड़ा स्रोत है इसकी उत्पत्ति का वैज्ञानिक तथ्य यह है कि जब सूर्य उत्तरायण में प्रवेष करता है उसके 30 दिनों के बाद ऊर्जा उत्पन्न होती है। वो स्वयंभू हैं उनकी गहराई और ऊंचाई को स्वयं ब्रह्मा ने नापने की कोषिष की लेकिन नापने में असमर्थ रहे। षिव से ही नई रचना की उत्पत्ति होती है। उनकी संरचना लंबाई में अर्थात् लिंग स्वरूप में दर्षाया गया है क्योंकि इस आकृति में असीम ऊर्जा समायी होती है। यह आकृति न्यूक्लियर रियेक्टर से समानता रखती है इस कारण न्यूक्लियर रियेक्टर को गॉड्स पार्टिकल नाम दिया गया। जो व्रत करते हैं विषेषकर मातायें व बहनें, उनमें भी बहुत शक्ति होती है, अतः उन्हें षिवषक्ति करते। षिव और प्रकृति के समायोजन को षिवा कहते हैं। षिव की यह शक्ति सबसे ज्यादा बहनों-माताओं को मिलती है।‘‘
उक्त बातें महाषिवरात्रि महोत्सव के अवसर पर दयालबंद में आयोजित आध्यात्मिक कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए बिलासपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति भ्राता गौरीदत्त शर्मा जी ने कही। आपने 30 फीट षिवलिंग और गुफा के इस कॉन्सेप्ट की प्रषंसा की और कहा कि सहयोग व संगठन की शक्ति से बड़ा से बड़ा कार्य भी पूरा हो जाता है। हम पवित्र बन कर उस सतयुगी दुनिया में जाने की कोषिष कर सकते हैं। इसके लिए सबसे अच्छा माध्यम है साधना।
बुराईयां होते हुए भी परोपकार करना न छोड़ें – भ्राता भवानी शंकर नाथ
रेलवे पुलिस फोर्स के वरिष्ठ सुरक्षा आयुक्त भ्राता भवानी शंकर नाथ जी ने कहा कि इस संस्था के साकार संस्थापक पिताश्री ब्रह्माबाबा भविष्य दृष्टा थे, उन्होंने महिलाओं को संस्था के संचालन के लिए आगे किया। इस संस्था की बहुत सी बातें अनोखी हैं। जैसे यहां मेडिटषन के लिए आंखें खुली कर साधना करते हैं। जिससे हमारी बुद्धि संसार आदि में भटकती नहीं है। कई लोग आत्मा का ध्यान हृदय में करते हैं लेकिन यहां भृकुटी में आत्मा का ध्यान करते हैं। दुनिया में हमने विकास बहुत कर लिया है लेकिन मानसिक शांति नहीं है, ऐसे में हमारी सकारात्मकता और मेडिटेषन ही समाधान करते हैं। कोई सोचे कि हमारे जीवन में कोई समस्याएं न आये तो ये संभव नहीं है क्योंकि जब देवताओं का जीवन भी स्मूथ नहीं चला तो हमारे सामने तो बातें आनी ही हैं। लेकिन सब बुराई होते हुए भी हमें परोपकार करना नहीं छोड़ना चाहिये।
डॉ. लालचंदानी जी ने कहा कि हम काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, आलस्य आदि विकार एकसाथ तो नहीं छोड़ सकते लेकिन यदि हम सभी अपना-अपना नियम बना लें जैसे- सोमवार को क्रोध नहीं करेंगे, मंगलवार को मोह नहीं करेंगे…तो हमें अच्छा बनने में सहायता अवष्य होगी।
पथरिया से पधारे योग आयोग मुंगेली के जिला संवाहक भ्राता भुवनेष्वर आचार्य जी ने सभी को नमन करते हुए कहा कि राम ने रावण को मारने के लिए 31 बाण मारे थे, बीस धड़ पर और 10 सिरों पर एवं 1 बाण नाभि पर लेकिन यहां 30 फीट षिवलिंग बनाया गया, 31 वें फीट की आवष्यकता ही नहीं पड़ी।
इस अवसर पर टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी एवं छ.ग. योग आयोग की सदस्य आदरणीय ब्र.कु. मंजू दीदी जी ने परमात्म महावाक्य सुनाते हुए कहा कि आज के दिन सभी भक्त क्रोध रूपी अंक का फूल भगवान षिव पर चढ़ा दें, यही हमारी सच्ची पूजा होगी।
अंत में सभी अतिथियों की उपस्थिति में षिव ध्वजारोहण किया गया एवं प्रसाद वितरित किया गया।
षिवध्वज, षिव के नारों के साथ निकाली गई रैली।
कार्यक्रम के पश्चात् परचम व नारों के साथ दयालबंद से लेकर जगमल चौक, गुजराती समाज से होते हुए टिकरापारा सेवाकेन्द्र तक रैली निकाली गई व सेवाकेन्द्र में भी षिव ध्वजारोहण किया गया। इसके बाद रैली मन्नू चौक होते हुए दयालबंद झांकी ग्राउण्ड में पहुंचकर समाप्त हुई।
वेलेन्टाइन-डे पर झांकी में विषेष आयोजन – पत्र प्रभु के नाम व प्रभु वरदान आपके नाम
वेलेन्टाइन-डे के अवसर पर सभी षिव प्रेमियों के लिए झांकी ग्राउण्ड में विषेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। एक काउण्टर बनाया गया हैं जहां षिव भक्त प्रेम पत्र के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त करेंगे। और इसके पष्चात उन्हें प्रभु वरदान कार्ड के रूप में प्राप्त होगा। यह आयोजन प्रातः 7 बजे से रात्रि 8 बजे तक दिनभर चलता रहेगा।