प्रेस-विज्ञप्ति
प्रेम की भावना के साथ करें भगवान षिव की भक्ति – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
महाषिवरात्रि महोत्सव पर षिवकथा का आयोजन
‘‘पूजन के विषेष दो प्रकार है, एक है प्रेम की विधि पूर्वक पूजन और दूसरा है केवल नियमपूर्वक पूजन। कई भक्त देवता नाराज न हो जाए, इस भय से पूजन करते हैं और कोई तो दिखावा मात्र भी पूजते हैं, कोई समझते हैं कि भक्ति का फर्ज केवल निभाना है, चाहे दिल हो या न हो लेकिन निभाना है। जो भक्त सच्ची दिल से, प्रेम की भावना से भगवान को याद करते हैं, उन्हें भक्ति का फल, सुख-षांति अवष्य मिलता है। भगवान को याद करने वाले भी अलग-2 प्रकार के हैं, कोई भगवान की याद में लवलीन हैं, किसी को भगवान की सेवा से केवल प्यार में है, कोई दिखावे के लिए याद करता है या सेवा करता है और कोई भय से याद करता है। आप भी सोचिये कि आप किस नम्बर पर हैं।’’
उक्त बातें महाषिवरात्रि महोत्सव के अवसर पर दयालबंद में आयोजित षिवकथा में भक्तों को संबोधित करते हुए टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी एवं छ.ग. योग आयोग की सदस्य आदरणीय ब्र.कु. मंजू दीदी जी ने कही। आपने परमात्म महावाक्य सुनाते हुए आगे कहा कि जो अपने हर कार्य के मध्य बैलेन्स बनाकर चलता है, उन्हें परमात्मा की ओर से ब्लेसिंग जरूर मिलती है।
महोत्सव में बनाए गए गुफा में भगवान षिव की महिमा, उनकी सत्यता व उनके कीर्तन से संबंधित तथ्यों पर आधारित झांकियां सजायी गई हैं। साथ ही सभी के लिए विषेष संकल्प लिखे हुए बेल-पत्र की व्यवस्था भी की गई है।
शांति अनुभूति कक्ष लोग कर रहे आत्मिक शान्ति की अनुभूति…..
झांकी में शांति की अनुभूति के लिए एक डार्क रूम में शान्ति-अनुभूति कक्ष का निर्माण भी किया गया है। जहां विडियो मेडिटेषन कॉमेन्ट्री शो के माध्यम से सभी आत्मिक शान्ति की अनुभूति कर रहे हैं। दीदी जी ने जानकारी दी कि प्रतिदिन प्रातः 7 से 8 षिवकथा प्रवचन, प्रातः 8 एवं सायं 7 बजे महाआरती, सायं 7 से 8 बजे भजन संध्या का आयोजन एवं मंगलवार के दिन विषेष कार्यक्रम के सत्र में षिव के गीतों पर आधारित नृत्य का कार्यक्रम आयोजित है
भ्राता सम्पादक महोदय,
दैनिक………………………..
बिलासपुर (छ.ग.)