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Bilaspur- छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी में तनाव प्रबंधन विषय पर सत्र का आयोजन

प्रेस-विज्ञप्ति
न्याय के लिए शांत मन, पारदर्षिता का गुण तथा परखने व निर्णय करने की शक्ति जरूरी – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
क्रोध व तनाव स्वाभाविक नहीं, नकारात्मक व व्यर्थ चिंतन है मुख्य कारण
छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी प्रशिक्षण केन्द्र में नवनियुक्त सिविल जजों के प्रशिक्षण में तनाव प्रबंधन विषय पर सत्र का आयोजन
 
बिलासपुर टिकरापारा 26 फरवरी – न्यायाधीष का पद धर्मराज के समान है। यह बहुत बड़ा जिम्मेदारी भरा कार्य है जहां से अनेकों के जीवन के फैसले होने हैं। गलत फैसले से किसी को दुखी करके हम जीवन में सुख से नहीं रह सकेंगे। हमसे जीवन में सदा ही सही फैसले हों इसके लिए क्रोध व तनावमुक्त एक शांत मन के साथ परखने व निर्णय करने की शक्ति का होना परमआवष्यक है। पांच मिनट का गुस्सा हमारी दो घण्टे की कार्यक्षमता को नष्ट कर देता है। नकारात्मक व व्यर्थ के विचारों के कारण हमारी आंतरिक शक्ति कमजोर हो जाती है जो तनाव का कारण बनती है और इन्हीं विचारों रूपी विष से मानसिक प्रदूषण बढ़ रहा है। इसे दूर करने के लिए प्रतिदिन आधा से एक घण्टा मेडिटेषन रूपी एक्सरसाइज और सुविचारों रूपी हेल्दी डाइट की आवष्यकता है क्योंकि जब हम खुद सषक्त बनेंगे तब ही दूसरों को भी बना सकेंगे। सच्ची खुषी साधनों में नहीं, अपने विचारों में है। आध्यात्मिकता हमारे जीवन में हमारी बौद्धिक, भावनात्मक और नैतिक क्षमताओं को संतुलित रखने के लिए आवष्यक है नहीं तो अधिक बौद्धिक क्षमता से अभिमान आयेगा और अधिक भावनात्मक होने से मानसिक पीड़ा होने लगेगी।
उक्त बातें छ.ग. राज्य न्यायिक प्रषिक्षण केन्द्र में 60 नवनियुक्त सिविल जजों के लिए 4 फरवरी से 29 मार्च तक आयोजित दो माह के प्रषिक्षण कार्यक्रम के दौरान तनाव प्रबंधन पर आयोजित दो सत्रां को संबोधित करते हुए टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कही। आपने कहा कि धन जरूरी है किंतु धन सब कुछ नहीं है। धन के साथ दुआएं कमाना जरूरी है। दुआएं ही हमारे परिवार के लिए खुषी लाएंगी क्योंकि आत्मा जब शरीर छोड़ती है तो अपने साथ धन संपत्ति तो नहीं ले जाती लेकिन अगली यात्रा के लिए पापकर्मां का बिस्तरा और पुण्यकर्मों की अटैची साथ जरूर ले जाती है। हम अक्सर डर के कारण बड़ों का आदर करते हैं जो हमारी सहन शक्ति को बताता है किन्तु सहनषीलता तब होगी जब हम दिल से सबका सम्मान करेंगे।
नकारात्मकता भारी तो लादेन-हिटलर व सकारात्मकता भारी तो विवेकानंद बन सकते..
जीवन भर के आनंद के लिए सकारात्मकता जरूरी…
दीदी ने अलग-2 सिद्धांतों के आधार पर तनाव प्रबंधन के तरीके बताते हुए कहा कि तनावमुक्त जीवन के लिए सबसे पहला सिद्धांत है निःस्वार्थ प्रेम, जो कि आत्मा का एक मुख्य गुण है। जिस तरह पांच तत्वों से निर्मित शरीर को इन्हीं पांच तत्वों की आवष्यकता होती है उसी प्रकार सुख, शांति, आनंद, प्रेम, पवित्रता आत्मा के मूल गुण हैं। हम दूसरों से प्रेम की अपेक्षा रखते हैं जबकि दूसरे के पास भी प्रेम नहीं है क्योंकि सभी की आत्मा डिस्चार्ज हो चुकी हैं और एक डिस्चार्ज बैटरी दूसरे डिस्चार्ज बैटरी को चार्ज कैसे करेगी। स्वयं को प्यार के सागर परमात्मा से कनेक्ट करें और प्रेम से भरपूर होकर प्रेम बांटते चलें। इसी तरह शुभभावना, जो हुआ अच्छा, खुषी बांटना, भगवान पर दृढ़ निष्चय आदि बातों को विस्तार से समझाते हुए तनावमुक्ति के तरीके बताए। समय का महत्व व नींद प्रबंधन बताते हुए जीवन में सदा आनंदित रहने के लिए सकारात्मक चिंतन को अपनाने के लिए प्रेरित किया। योग के गीतों पर क्लेपिंग एक्सरसाइज का भी अभ्यास कराया गया।
इस अवसर पर एकाडमी के डायरेक्टर भ्राता के.एल. चार्याणी, एडिषनल डायरेक्टर भ्राता नीरज शुक्ला व अजय राजपूत, ब्रह्माकुमारी गायत्री एवं गौरी बहन उपस्थित थे। दीदी ने सभी को माउण्ट आबू में 25 से 29 मई को न्यायिक प्रभाग के लिए आयोजित षिविर के लिए सभी को आमंत्रित किया।
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