Rajrishi
Bhagwat Gita at Ramtala – All News & Photos

बिलासपुर टिकरापारा सेवाकेन्द्र द्वारा ग्राम रमतला में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत गीता प्रवचनमाला का आयोजन किया गया। जिसमें ब्रह्माकुमारी शशी बहन के द्वारा कर्म, अकर्म, विकर्म की गति, परमसत्य का बोध व दिव्य अवतरण, सृष्टि चक्र, कल्पवृक्ष, राजयोग व सुदामा चरित्र के द्वारा खुशहाल जीवन जीने की सम्पूर्ण विधि बतायी जा रही है।
साथ ही राजयोग शिविर का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गांव की महिलाएं, पुरूष, बच्चे व वृद्धजन उपस्थित होकर आध्यात्मिक ज्ञान का लाभ ले रहे हैं।
प्रेस विज्ञप्ति-1
सादर प्रकाशनार्थ :
*श्रीमद भागवत गीता ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ*
कलश यात्रा के साथ श्रीमद भागवत गीता ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ हुआ बजरंग चौक गुड़ी से प्रारम्भ होकर विभिन्न मार्गो से होती हुई पुनः गुड़ी चौक मंदिर स्थित कथा स्थल पर आकर संपन्न हुई| बैंड बाजो के साथ निकाली गयी कलश यात्रा में सुन्दर सा लक्ष्मी नारायण की झांकी भी सजी हुई थी |
*बिलासपुर टिकरापारा* से पधारे राजयोगिनी तापश्विनी ब्रह्माकुमारी शशि प्रभा दीदी जी ने भागवत पुराण महात्म की जानकारी देते हुये कहा की इसके श्रवण मात्र से हमारे एक जन्म नहीं अपितु हमारे कई जन्मो के पापों का नाश हो जाता है, दीदी जी ने कहा की हमें आंतरिक शांति चाहिए तो अपने कर्तव्य का सदा ही शुद्ध मन से करने की चेष्टा को बढ़ानी होंगी, साथ ही उस परमात्मा को याद करने के लिए कुछ समय अवश्य निकलना होगा, ताकि हमारे अंदर स्वच्छ विचारों का उदय हो सके|
*प्रेस – विज्ञप्ति-2*
सत्यता की दृष्टि से आज दुनिया अंधत्व है:- ब्रह्माकुमारी शशि प्रभा दीदी*
*भागवत गीता का ज्ञान हमें तैरना सिखाता है*
*श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का आरंभ हुआ ग्राम रमतला बजरंग चौक (गुड़ी) में*
*बिलासपुर टिकरापारा* *ग्राम रमतला* “श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का आरंभ हुआ दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक रखा गया है, बड़ी संख्या में श्रद्धालु आयोजन स्थल पर एकत्रित हो रहे है ग्राम रमतला में ठाकुर परिवार के तत्वावधान में श्रीमद् भागवत कथा के पवित्र आत्माये चाहे जिस धर्म के ही हो इनको केवल अव्यक्त अर्थात एक ओंकार परमात्मा की पूजा का ही ज्ञान पवित्र शास्त्रों जैसे पुराणों, वेदो, गीता आदि नामो से ही पाया क्योंकि इन सर्व शाश्त्रो में ज्योति स्वरूपी प्रकाशमय परमात्मा की पूजा विधि का वर्णन है, जिसमे श्रीमद भगवत कथा पुराण,मानव को जीवन जीने की कला सिखाती है जहाँ भी श्रीमत भागवत कथा हो रही हो उसे ध्यान पूर्वक सुनना चाहिए “श्रीमद भागवत कथा महापुराण के दूसरे दिन राजयोगिनी तपश्विनी ब्रह्माकुमारी शशि प्रभा दीदी जी अपनी उद्बोधन में कहा की शास्त्र में पवित्र वेद व् गीता विशेष है दीदी जी ने श्रीमद भगवत कथा महापुराण के बारे में बताते हुए कहा की यह एक ऐसी कथा है जिनको सुनाने से दैहिक दैविक सभी पापो से मुक्ति मिल जाती है मनुष्य इस कथा को ध्यान पूर्वक सुनकर भवसागर से पार हो सकता है
पवित्र वेद पवित्र श्रीमद भगवत गीता तथा पुराण आदि सर्व मानव मात्र के कल्याण के लिए है इस कार्यक्रम में ग्राम के कई सम्माननीय वयक्ति बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। जिन्हें राधा कृष्ण की स्मृति चिन्ह व प्रसाद प्रदान किया गया
*प्रेस- विज्ञप्ति*
*कर्मो की गति बड़ी न्यारी होती है :- ब्रह्माकुमारी शशि प्रभा दीदी*
*श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का तीसरा दिन रमतला के बजरंग चौक गुड़ी मंदिर प्रांगण में*
*बिलासपुर टिकरापारा* *कथा स्थल ग्राम रमतला* “श्रीमद भागवत गीता ज्ञान यज्ञ दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक रखा गया है बड़ी संख्या में श्रद्धालु आयोजन स्थल पर एकत्रित हो रहे है ठाकुर परिवार के तत्वाधान में श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कर्मयोग के बारे में बताया गया |
राजयोगिनी तपश्विनी ब्रह्माकुमारी शशि प्रभा दीदी जी अपनी उदबोधन में आपने कहा कि, भागवत गीता का ज्ञान हमे जीवन मे श्रेष्ठ कर्मो के बीज को बोने की कला सिखलाती है, जीवन रूपी इस कर्मक्षेत्र में अगर हमसे श्रेष्ठ कर्म, पूण्य कर्म हो जिससे सभी की दिल की दुआये प्राप्त हो तो हमारा प्रालब्ध भी सुखमय होता है। जबकि इसके विपरीत हमसे पापकर्म और दूसरों को दुख दर्द देने वाले कर्म होते है तो हमारे अर्जित पूण्य कर्मो का प्रालब्ध समाप्त होता जाता है, हम अपने एक जन्म में अनेक जन्म को सवार सकते है ये स्वयं पर निर्भर करता है कि हमारे कर्मो की गति सकारात्मक है या नकारात्मक,
भगवान श्री कृष्ण कहते है
“न हि कश्चितक्षणमपि जातु निष्ठत्यकर्मकृत कार्यते द्रियवसः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः ”
अर्थात निःसंदेश कोई भी मनुष्य किसी भी काल में छणमात्र भी बिना कर्म किये नहीं रह सकता क्यूंकि सारा मनुष्य समुदाय प्रकृति जनित गुणों द्वारा परवसहै कर्म करने के लिए बाध्य किया जाता है
“गहना कर्मणो गतिः ” कर्मोकर्मो की गति बड़ी ही गहन होती है क्योंकि कर्मो की कोई स्वतन्त्र सत्ता नहीं होती। कर्म को जड़ कहा गया है क्यूंकि उन्हें पता नहीं होता है की वे कर्म है कर्म मनुष्य की वृत्तियों से प्रतीत होता है यदि विहित अर्थात शास्त्रोक्त संस्कार होते है तो पुण्य प्रतीत होता है और निषिद्ध तो पाप प्रतीत होता है इसलिए भगवन कहते है की विहितं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो दृयक्रमणः अर्थात हे अर्जुन तू विहित कर्मो को कर। इसमें भी कर्म नियंत्रित होने चाहिए क्यूंकि नियंत्रित विहित कर्म को ही धर्म कहा जाता है। जैसे सुबह जल्दी उठकर थोड़ी देर के लिए परमात्मा के ध्यान में शांत रहना और सूर्योदय से स्नान करना। उपरांत संध्या वंदन इत्यादि करना, ऐसे कर्म स्वस्थ्य दृष्टि भी उत्तम माने गये है और सात्विक होने के कारण पुण्यदायी भी है परन्तु किसी के मन में विपरीत संस्कार पड़े है तो वह सोचेगा की इतनी जल्दी सुबह उठकर स्नान करके क्या करूँगा ऐसे लोग सूर्योदय के पश्चात उठते है, उठते ही सबसे पहले बिस्तर पर चाय करते है और बिना स्नान किये नास्ता कर लेते है शास्त्रानुसार ऐसे कर्म निषिद्ध कर्मो की श्रेणी कहे गए है। ऐसे लोग वर्तमान में भले ही अपने को सुखी मान ले परन्तु आगे चलकर शरीर अधिक रोग ग्रस्त होगा भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा भी गया है कि मुझे इन तीन लोको में न तो कोई कर्तव्य है और न ही प्राप्त करने योग्य कोई वस्तु अप्राप्त है फिर भी मै कर्म करता हूँ
कार्यक्रम के अंत में ग्राम के कई श्रदालु एवं सम्मानीय नागरिक उपस्तिथ थे, जिन्हें दीदी जी द्वारा राधे कृष्ण का स्मृति चिन्ह एवं प्रसाद प्रदान करके सम्मानित किया गया। बड़ी संख्या में सभी श्रद्धालु उमंग उत्साह के साथ अपने जीवन को परिवर्तन करने के उद्देश्य से ज्ञान श्रवण कर रहे है|
*सादर प्रकाशनार्थ*
*प्रेस- विज्ञप्ति*
*सत्य एक बोध है जो सर्व स्वीकार है:- ब्रह्माकुमारी शशि प्रभा दीदी*
*श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का चौथा दिन रमतला के बजरंग चौक गुड़ी मंदिर प्रांगण में*
*साथ में राजयोग शिविर का भी आयोजन सुबह 10:00 से 11:30 के बीच में हो रहा है*
*बिलासपुर टिकरापारा* *कथा स्थल ग्राम रमतला* “श्रीमद भागवत गीता ज्ञान यज्ञ दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक रखा गया है बड़ी संख्या में श्रद्धालु आयोजन स्थल पर एकत्रित हो रहे है ठाकुर परिवार के तत्वाधान में श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन परम सत्य के बारे में बताया गया |
राजयोगिनी तपश्विनी ब्रह्माकुमारी शशि प्रभा दीदी जी आपने अपने उदबोधन में कहा कि
सत्य एक बोध है जो सर्वस्वीकार्य है इसमें कहीं कोई भी विवाद नहीं है यह स्वतः स्थापित है इसको स्थापित करने की कोई आवश्यकता भी नहीं है क्योंकि सत्य शाश्वत है
प्रकटरूप मैं सत्य परमसत्ता का भी द्योतक है इसको हम ऐसे भी कह सकते हैं की सत्ता सत्य की ही है! यूँ तो कहा जाता है सत्य वर्णातीत है, भाषातीत है व अव्यक्त है फिर भी हमारे शास्त्रों व धर्म ग्रंथों में इसको व्यक्त किया गया है उसके ही अनुरूप उस अव्यक्त को बहुत सार्थक व सटीक रूप में स्पष्ट किया गया है! केवल अनुभवगम्य विषय है इसीलिए वस्तुतः उसे निराकार कहा गया है!
सत्य ही ईश्वर है, सत्य ही चिरंतन ज्ञान है, वह हमारे लिए खोज व शोध का विषय भी है जिसकी व्याख्या अन्य धर्मों मैं भी विवेचित् है लेकिन परम सत्य को हमारे वेदों में अंतिम सत्य के प्राकट्य की विवेचना को ही स्वीकार किया है !
वह जो संपूर्ण चराचर जगत व जीवों का रचनाकार है वोही परम सत्य है, ईश्वर है, वोही सबका नियंता व नियामक है! तब यह भी स्वयम सिद्ध है की वो निर्लिप्त है क्योकि वह शरीर नहीं है वह एक परम शास्वत निरहंकारी, निर्विकारी, इंद्रियातीत, गुणातीत, अनंत, अखंड व सर्वत्र व्यापक चेतना है! जो सब की होते हुए भी किसी की नहीं होती! वह निश्चल प्रेम, करुणा, दया, क्षमा, त्याग आदि उसके ही प्रतिरूप हैं! वोही हमारा राम है वोही हमारा गोविंद है
अतः जो उसे इसी भाव से भजते हैं वो फिर उससे केवल और केवल उसी को चाहते हैं जगत तो उनकी चाहत में लेशमात्र भी नहीं होता क्योंकि जब जीवन मैं सत्य उद्घाटित हो गया तब क्या शेष बचा
*इस कार्यक्रम में एक जीवंत झाँकी प्रस्तुत किया नन्द बाबा और श्रीकृष्ण अवतरण का मनोरम दृश्य दिखाया गया*
*सादर प्रकाशनार्थ*
*प्रेस – विज्ञप्ति*
*जैसा बिज बोयेंगे वैसा फल निकलेगा* :- *ब्रह्माकुमारी शशि प्रभा*
*श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का पांचवा दिन रमतला के बजरंग चौक गुड़ी मंदिर प्रांगण में*
*साथ में राजयोग शिविर का भी आयोजन सुबह 10:00 बजे से 11:30 के बीच में हो रहा है*
*बिलासपुर टिकरापारा कथा स्थल ग्राम रमतला*”श्रीमद भागवत गीता ज्ञान यज्ञ दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक रखा गया है बड़ी संख्या में श्रद्धालु आयोजन स्थल पर एकत्रित हो रहे है ठाकुर परिवार के तत्वावधान में श्रीमद् भागवत कथा के पांचवा दिन सृष्टि चक्र के बारे में बताया गया।
जिस प्रकार बिल्ली का बच्चा बिल्ली की तरह, गाय का बच्चा गाय की तरह, हाथी का बच्चा हाथी की तरह एवं मनुष्य का बच्चा मनुष्य की तरह ही होता है उसी प्रकार ज्योति स्वरूप आत्मा का पिता भी ज्योति स्वरूप ही ही है जिसे स्थूल आंखों से नहीं देखा जा सकता।’’अतः जैसा कर्म करेंगे वैसा फल मिलेगा
यदा-यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत…. का अर्थ बताते हुए कहा कि यह धर्म ग्लानि का ही समय चल रहा है जब भगवान का इस धरती पर अवतरण होता है। और वे इस धरती पर अवतरित होकर एक सत्य धर्म की स्थापना करते हैं।
राजयोगिनी तपश्विनी ब्रह्माकुमारी शशि प्रभा दीदी जी ने अपनी उद्बोधन में कहा कि सृष्टि की रचना व उत्पत्ति के प्रसंग में यह महत्वपूर्ण तथ्य है की संसार में कोई भी रचना व उत्पत्ति बिना कर्त्ता के नहीं होती। कर्त्ता को अपने कार्य का पूर्ण ज्ञान होने के साथ उसको सम्पादित करने के लिए पर्याप्त शक्ति व् बल भी होना चाहिए।यह सृष्टि एक कर्ता जो ज्ञान व बल से युक्त है उसी से बनी है क्या संसार में कोई अदृध्या सत्ता ऐसी हो सकती जिससे यह सृष्टि बनी है इस पर विचार करने पर हमारा ध्यान स्वयं अपनी आत्मा की ओर जाता है हम एक ज्ञानवान चेतन है जो शक्ति व् बल से युक्त है हमने स्वयं को आज तक नहीं देखा हम जो इस शरीर में रहते है व् इस शरीर के द्वारा अनेक कार्यो को सम्पादित करते है वह आकार,रंग व रूप में कैसा भी हो हम अपने को ही क्यों ले हम अन्य असंख्य प्राणियों को भी देखते है परन्तु उनके शरीर ही अनुमान करते है की इनके शरीर में एक जीवात्मा है जिसके कारण इनका शरीर कार्य कर रहा है। इस जीवात्मा के माता के गर्भ में शरीर से संयुक्त होने और संसार में आने पर जन्म होता है जिस चेतन जीवात्मा के निकल जाने पर ही यह शरीर का मृतक का शव कहलाता है हम यह भी जानते है कि सभी प्राणियों के शरीर में रहने वाला जीवात्मा आकार में अत्यंत अल्प परिणाम वाला है। अतः संसार में हमारी इस आत्मा की ही भांति जीवात्मा से सर्वथा भिन्न एक अन्य शक्ति,निराकार स्वरूप और आनंद व सुखोसे युक्त ज्ञान बल-शक्ति की पराकाष्ठा से परिपूर्ण ईश्वर व परमात्मा है
जिस प्रकार रात-दिन का, ऋतुओं का, जीवन की अवस्थाओं का चक्र होता है उसी प्रकार समय का चक्र चलता है। सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग। चक्र के अनुसार कलयुग के बाद सतयुग जरूर आना है। वर्तमान समय पुरूषोत्तम संगमयुग का समय चल रहा है जिसमें आत्मा अपने परमपिता परमात्मा की याद से पूर्व जन्मों के पापकर्म को खत्म करके सतयुगी सुख-शांति से संपन्न दुनिया में जाने का पुरूषार्थ करने का
समय होता है।
*सादर प्रकाशनार्थ*
*प्रेस- विज्ञप्ति*
*कृष्ण-सुदामा मिलन की कथा ने किया भाव-विभोर *
*श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का छठवां दिन रमतला के बजरंग चौक गुड़ी मंदिर प्रांगण में*
*साथ में राजयोग शिविर का भी आयोजन सुबह 10:00 से 11:30 के बीच में हो रहा है*
*बिलासपुर टिकरापारा* *कथा स्थल ग्राम रमतला* “श्रीमद भागवत गीता ज्ञान यज्ञ दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक रखा गया है बड़ी संख्या में श्रद्धालु आयोजन स्थल पर एकत्रित हो रहे है ठाकुर परिवार के तत्वाधान में श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन कृष्णा-सुदामा के मिलन का वर्णन किया गया
सुदामा से परमात्मा ने मित्रता का धर्म निभाया।राजा के मित्र राजा होते है रंक नहीं,पर परमात्मा ने कहा कि मेरे भक्त जिसके पास प्रेम धन है वह निर्धन हो नहीं सकता। कृष्ण और सुदामा दो मित्र का मिलन ही नहीं आत्मा व परमात्मा तथा भक्त और भगवान का मिलन है। जिसे देखने वाले अचंभित रह गए थे आज मनुष्य को ऐसे आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए राजयोगिनी तपश्विनी ब्रह्माकुमारी शशि प्रभा दीदी जी अपनी उद्बोधन में कहा कि द्वारपाल के मुख से सुदामा शब्द सुनते ही भगवान श्रीकृष्ण ने जैसे अपनी सुध बुध खो दी और वह नंगे पाँव ही दौर पड़े द्वार की ओर। दोनों बाहें फैलाकर उन्होंने सुदामा को हृदय से लगा लिया। भगवान को देखकर सुदामा की आंखे बरस पड़ी। उनसे अश्रु की धारा लगातार बहे जा रही थी। तदन्तर भगवान श्रीकृष्ण सुदामा को ले गए उन्होंने बचपन के प्रिय सखा को अपने सोफा पर बैठाकर उनका चरण धोना प्रारम्भ किया।”देखि सुदामा की दीन दसा, करुना करिके करुनानिधि रोये।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जलसों पग धोये।” सुदामा कि दिन-दशा को देखकर चरण धोने के लिए रखे गए जल को स्पर्श करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी। करुणा सागर के अश्रु धारा की वर्षा से ही मित्र के पैर धूल गये कृष्ण-सुदामा प्रसंग पर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे।
श्रद्धा के बिना भक्ति नहीं होती तथा विशुद्ध हृदय में ही भगवान टिकती है।भगवान के चरणों में सर्वश्व समर्पण करके अपने अंतः कारण में प्रेम पूर्वक अनुसन्धान करना ही भक्ति है श्रीकृष्ण को सत्य के नाम से पुकारा गया। जहा सत्य हो वही भगवान का जन्म होता है परमात्मा जिज्ञासा का विषय है परीक्षा का नहीं
साथ ही कृष्ण-सुदामा की मनोरम झांकी सजायी गयी जिसे देखकर श्रद्धालुओ की आंखे नम हो गयी जिसमे मुख्य रूप से बंटी भाई ,होरीलाल भाई, विनय भाई अमर भाई, मुस्कान बहन,शारदा बहन ने प्रस्तुति दी।