Rajrishi
निराशा-उदासी के समय रचनात्मक कार्यों में करें स्वयं को व्यस्त – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

बिलासपुर टिकरापारा :- जब किसी बात को लेकर मन-बुद्धि में हलचल हो, उदासी या निराशा हो उस समय ध्यान में न बैठकर कर्मयोग करना चाहिए क्योंकि यदि ऐसी स्थिति में हम ध्यान में बैठेंगे तो परमात्मा के बजाय उस व्यक्ति से ही मन की बातचीत होगी जिनसे हमारा मनमुटाव हुआ है। इसलिए स्वयं को ऐसे कार्यों में लग जाएं जिसमें आप व्यस्त हो जाएं। वह कार्य बागवानी का हो सकता है, आलमारी जमाना, घर की साफ-सफाई या आपकी रूचि से संबंधित कोई अन्य कार्य भी हो सकता है।
जो सच्चे भक्त होते हैं वे भगवान के प्रति आस्था और पापों की सजाओं भय के कारण पापकर्मों से दूर रहते हैं। ज्ञान युक्त रहम और रूहाब अर्थात् आत्मिक प्रेम होने से न ही घृणा होगी और न ही किसी से प्रभावित होंगे।
किसी की गलती पर समझाने या शिक्षा देने से पूर्व यह देख लें कि उनमें सामर्थ्य है या नहीं। यदि सामर्थ्य नहीं तो पहले उनकी विशेषता याद दिलाएं फिर शिक्षा दें। नही ंतो छोटी बात और ही बड़ी हो जाती है। साथ ही समझाने से पूर्व हमें भी शक्तिशाली होना जरूरी है नहीं तो यदि हम खुद बार-बार फेल हो रहे हैं तो दूसरों को पास कैसे करेंगे। हमें प्रसन्नचित्त रहने के लिए सभी प्रश्नों से पार जाना होगा।