Connect with us
 

Rajrishi

निराशा-उदासी के समय रचनात्मक कार्यों में करें स्वयं को व्यस्त – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

सादर प्रकाशनार्थ
प्रेस विज्ञप्ति
निराशा-उदासी के समय रचनात्मक कार्यों में करें स्वयं को व्यस्त – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र में रविवार विशेष क्लास का आयोजन

बिलासपुर टिकरापारा :- जब किसी बात को लेकर मन-बुद्धि में हलचल हो, उदासी या निराशा हो उस समय ध्यान में न बैठकर कर्मयोग करना चाहिए क्योंकि यदि ऐसी स्थिति में हम ध्यान में बैठेंगे तो परमात्मा के बजाय उस व्यक्ति से ही मन की बातचीत होगी जिनसे हमारा मनमुटाव हुआ है। इसलिए स्वयं को ऐसे कार्यों में लग जाएं जिसमें आप व्यस्त हो जाएं। वह कार्य बागवानी का हो सकता है, आलमारी जमाना, घर की साफ-सफाई या आपकी रूचि से संबंधित कोई अन्य कार्य भी हो सकता है।

उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ के टिकरापारा सेवाकेन्द्र में रविवार विशेष क्लास में उपस्थित साधकों को परमात्म महावाक्य ज्ञानमुरली सुनाते हुए ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कही। आपने बतलाया कि ईर्ष्या, घृणा और अलबेलापन ये सभी क्षमा और रहम की भावना की कमी से उत्पन्न होते हैं। कृपा या रहम तो एक परमात्मा ही कर सकते हैं लेकिन वे इसके लिए किसी न किसी को निमित्त जरूर बनाते हैं। दुनिया में अनेक अशांत परेशान आत्माएं हैं उन पर रहम, सेवाओं में सहयोगी ईश्वरीय परिवार पर रहम और साथ ही अपनी कमियों को दूर करने के लिए स्वयं पर रहम की भावना जरूरी है।
सच्चे भक्त पापकर्मों से दूर रहते हैं…
जो सच्चे भक्त होते हैं वे भगवान के प्रति आस्था और पापों की सजाओं भय के कारण पापकर्मों से दूर रहते हैं। ज्ञान युक्त रहम और रूहाब अर्थात् आत्मिक प्रेम होने से न ही घृणा होगी और न ही किसी से प्रभावित होंगे।
किसी को समझाने से पूर्व उनका सामर्थ्य देखें…
किसी की गलती पर समझाने या शिक्षा देने से पूर्व यह देख लें कि उनमें सामर्थ्य है या नहीं। यदि सामर्थ्य नहीं तो पहले उनकी विशेषता याद दिलाएं फिर शिक्षा दें। नही ंतो छोटी बात और ही बड़ी हो जाती है। साथ ही समझाने से पूर्व हमें भी शक्तिशाली होना जरूरी है नहीं तो यदि हम खुद बार-बार फेल हो रहे हैं तो दूसरों को पास कैसे करेंगे। हमें प्रसन्नचित्त रहने के लिए सभी प्रश्नों से पार जाना होगा।