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Rajrishi

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अनुसार योग शिविर का आयोजन

सादर प्रकाशनार्थ
प्रेस विज्ञप्ति 1
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अनुसार योग शिविर का आयोजन

ब्रह्माकुमारीज़ राज किशोर नगर एवं टिकरापारा सेवाकेन्द्र में सीख सकते हैं योग की विधि

21 जून के सामान्य योग अभ्यास क्रम (प्रोटोकॉल) के अनुसार कराया जा रहा योगाभ्यास

बिलासपुर राज किशोर नगरः- प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा 01 जून से टिकरापारा एवं राज किषोर नगर सेवाकेन्द्र में आयोजित योग शिविर जारी है। इसका संचालन व योग प्रदर्शन छ.ग. योग आयोग की पूर्व सदस्या ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी एवं मास्टर ट्रेनर राकेश गुप्ता, अमर कुम्भकार, रूपा बहन, शशी बहन, गायत्री बहन, पूर्णिमा बहन, श्यामा बहन, ईश्वरी बहन, नीता बहन एवं प्रीति बहन के द्वारा अलग-अलग दिनों में किया जा रहा है।

नए साधकों के लिए विशेष अवसर
ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने बतलाया कि योग निरन्तरता का विषय है जो नए साधकों को सही रीति 21 जून को योग अभ्यास करने में कठिनाई होगी। यदि पूर्व से ही योग अभ्यास सीख जाएंगे तो सामूहिक योग अभ्यास सरलता से कर सकेंगे। इसी उद्देश्य से विशेष कर नए साधकों के लिए इस योग शिविर का आयोजन किया गया है। टिकरापारा में महाराष्ट्र मण्डल के पीछे स्थित सेवाकेन्द्र व राज किशोर नगर में स्मृति वन के पास स्थित शिव-अनुराग भवन सेवाकेन्द्र में प्रातः 6 से 7 बजे योग की विधि निःशुल्क सीख सकते हैं। साथ ही ऑनलाइन भी इसका लाभ ले सकते हैं।

वैसे तो योग को जीवन का अंग ही बना लेना चाहिए। 21 जून का दिन ही हमें योग को अपने दैनिक जीवन में अपनाने की प्रेरणा देने का दिन है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अनुसार योग शिविर का आयोजन..

21 जून के सामान्य योग अभ्यास क्रम (प्रोटोकॉल) के अनुसार कराया जा रहा योगाभ्यास

पूरी खबर👇🏻

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अनुसार योग शिविर का आयोजन..

प्रेस विज्ञप्ति 2
खुले, हवादार वातावरण में व सही विधि से करें योग अभ्यास – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए तन व मन दोनों का स्वस्थ होना जरूरी
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के पूर्व चल रहे योग शिविर में नए साधकों के लिए दिया गया विशेष संदेश
प्रतिदिन प्रातः 6 से 7 योगाभ्यास का आज उन्नीसवां दिन…

बिलासपुर, राज किशोर नगरः- 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए सभी जागरूक हों – यह बहुत जरूरी है। लेकिन पूरा जीवन स्वस्थ रखने के लिए योग की जागरूकता के साथ नियमितता भी जरूरी है। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए टिकरापारा एवं राजकिशोर नगर सेवाकेन्द्र में 01 जून से ही प्रतिदिन प्रातः 6 से 7 बजे नए साधकों के अनुसार योगाभ्यास आरंभ कर दिया गया है। जिसमें सभी अभ्यासों को धीरे-धीरे विधिपूर्वक सिखाया जा रहा है। साथ ही अलग-अलग आसनों के लाभ व सावधानियां भी बताई जा रही है। इसके लिए छ.ग. योग आयोग की पूर्व सदस्या ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी एवं मास्टर ट्रेनर्स के द्वारा योगाभ्यास कराया जा रहा है।
शरीर व मन दोनों का स्वस्थ रहना जरूरी…
दीदी ने कहा कि जीवन का संपूर्ण आनंद लेने के लिए तन के साथ मन का सशक्तिकरण भी जरूरी है। योग व सकारात्मक चिंतन से मन मजबूत होता है और आसन-प्राणायाम से तन की स्थिति श्रेष्ठ होती है और चारों का मिला-जुला रूप हमें श्रेष्ठता और सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करता है और स्वस्थ मन व शरीर से ही हम बेहतर समाज की स्थापना में योगदान दे सकते हैं।
सही विधि से योगाभ्यास में मिलती है सफलता…
सही विधि से किए गए कार्य से ही सफलता मिलती है। प्राणायाम का अभ्यास भी सही तरीके से सीखकर जब हम करेंगे तब ही हमें लाभ प्राप्त होगा। प्रातःकाल हवादार कमरे में खाली पेट योग अभ्यास करना चाहिए। अनुलोम-विलोम व वज्रासन का अभ्यास भोजन के बाद भी किया जा सकता है बाकी आसन-प्राणायामों के लिए भोजन के बाद 4 से 5 घण्टे का समयांतराल होना चाहिए। ध्यानमुद्रा में बैठकर प्राणायाम करने से एकाग्रता बढ़ती है और रीढ़ सीधी रखने से हमारे फेफड़े फैलते हैं जिससे सांस लेने में आसानी होती है और हम ज्यादा ऑक्सीजन ले पाते हैं। यह शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत अच्छा प्रभाव डालता है। यदि आप सीटिंग जॉब में हैं या पढ़ाई करते हैं तो सीधे बैठकर कार्य करने या पढ़ने से नींद भी कम आती है और हमारा व्यक्तित्व भी अच्छा दिखता है। इसके विपरीत गलत तरीके से बैठने पर पीठ दर्द की समस्या भी आ सकती है।
धीरे-2 बढ़ाएं अभ्यास, सावधानियों का रखें ध्यान, भ्रमित न हों…
किसी भी आसन या प्राणायाम का अभ्यास करते समय ध्यान रहे कि शुरूआत में जल्दी-जल्दी, ज्यादा आवृति में या सहन क्षमता से अधिक स्ट्रेच न करें अन्यथा मांसपेशियों में खींचाव आने से दर्द आरंभ हो जाएगा। जब आप नियमित अभ्यास करते जाएंगे तो धीरे-धीरे आपकी मांसपेशियों में लचीलापन आ जाएगा और आप सही स्थिति तक पहुंच जायेंगे। इस बात में भ्रमित न हों कि कहीं पर वही योग एक तरीके से सिखाया जाता तो कहीं दूसरी विधि से। ऐसा इसलिए है कि हमारे योग गुरूओं ने ही एक आसन या प्राणायाम की दो-तीन अलग-अलग विधियां सिखाई हैं जो कि उनके अनुसार सही ही हैं। साथ ही कुछ अभ्यासों में विशेष सावधानियां होती हैं जैसे हृदयरोग, हर्निया, कमर दर्द आदि के लिए कुछ सावधानियां होती हैं। जिनका उन्हें पूर्णतः पालन करना ही चाहिए।

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