Rajrishi
भगवान शिव की अवतरण भूमि है भारत – ब्रह्माकुमारी ज्ञाना

सादर प्रकाश नार्थ
प्रेस विज्ञप्ति
भगवान शिव की अवतरण भूमि है भारत – ब्रह्माकुमारी ज्ञाना
परमात्मा शिव ज्योति स्वरूप हैं, उनकी यादगार प्रतिमा शिवलिंग के रूप में पूजी जाती है…
सावन सोमवार को नरियरा के ब्रह्मा कुमारीज़, प्रभु-अनुराग भवन में की गई भगवान शिव की आराधना
नरियरा : सनातन धर्म में सावन महीने का विशेष महत्व होता है l हिंदू पंचांग का यह पांचवां महीना भोलेनाथ को समर्पित होता है l मान्यता है कि इस महीने में भगवान शिव की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाए तो वे अत्यंत प्रसन्न होते हैं और मनोवांछित सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। वैसे युग के हिसाब से भी कलयुग और सतयुग के बीच का वर्तमान समय पांचवा युग पुरुषोत्तम संगम युग है
उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ नरियरा में सावन सोमवार के अवसर पर आयोजित सत्संग व शिव – आराधना कार्यक्रम में सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्मा कुमारी ज्ञाना दीदी ने कही। आपने आगे कहा कि जब हम ओम नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हैं तो इसका अर्थ है मैं आत्मा हूं और परमात्मा का बच्चा हूं I यह शिव नाम सिर्फ एक ही परमात्मा का है, जो हमें नजरों से निहाल करने आए हैं l परमात्मा का नाम शिव है परंतु हर एक धर्म वाले परमात्मा को अपना अपना नाम देकर बुलाते हैं l कोई गॉड, कोई खुदा, कोई अल्लाह, कोई फिर शिव कह कर बुलाते हैंl वैसे भारत में परमात्मा शिव का ही नाम गाया हुआ है। वह ज्योति स्वरूप हैं, उनकी यादगार प्रतिमा शिवलिंग रूप में पूजी जाती है l वह भी खास करके भारत में पूजा ज्यादा होती है क्योंकि भगवान शिव का जन्म भारत खंड में हुआ, भारत खंड का नाम बड़ा मशहूर है क्योंकि यह अविनाशी अखंड, देवभूमि गाया जाता है l भारत का ऐसा कोई गांव, शहर या कस्बा नहीं है जहां पर परमात्मा शिव की उपासना ना करते हो l
इसलिए यहां खुद परमात्मा पधार गए हैं और परमात्मा के महावाक्य हैं कि जब भारत पर अति धर्म ग्लानि होती है तभी मैं अधर्म का विनाश और सत्य धर्म की स्थापना करने आता हूं और यह सारा कार्य में एक बार अवतार धारण करके करता हूं, तो परमात्मा का अवतरण भी भारत में हुआl भारत परमात्मा का जन्म स्थान भी है और देवताओं के राज्य का स्थान भी है।
प्रभु अनुराग भवन में इस प्रथम सावन सोमवार के दिन ज्ञान स्नान कर सेवा केंद्र पर आने वाले भाई-बहनों ने ज्योतिर्लिंग की पूजा की व पुष्प अर्पित किए। दीदी जी ने इसके महत्व का वर्णन किया। दर्शन व पूजन के पश्चात सभी को तिलक लगाकर प्रसाद वितरण किया गया
भोलेनाथ से निराला और कोई नहीं इस गीत के माध्यम से ध्यान किया गया।