Connect with us
 

Rajrishi

मनुष्य में दैवीय गुणों की धारणा कराता है सत्यनारायण की कथा – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

सादर प्रकाशनार्थ

प्रेस विज्ञप्ति

*मनुष्य में दैवीय गुणों की धारणा कराता है सत्यनारायण की कथा – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*

*आदि-सनातन देवी देवता धर्म सभी धर्मों का पूर्वज – भूषणलाल वर्मा*

*ब्रह्माकुमारीज़, शिव-अनुराग भवन में सत्यनारायण की कथा कराई गई*

*कथा में छिपे गुह्य रहस्यों व आध्यात्मिक अर्थों की विवेचना भी की गई…*

राज किशोर नगर :- ब्रह्माकुमारीज़ राज किशोर नगर सेवाकेन्द्र में सत्यनारायण कथा का आयोजन किया गया जिसमें *कथा वाचक भ्राता भूषण लाल वर्मा* जी ने रीति-रस्मों के अनुसार कथा का वाचन किया और सृष्टि चक्र के अनुसार आदि सनातन देवी-देवता धर्म के बाद अनेक धर्मों की स्थापना और भारत के उत्थान और पतन के 84 जन्मों की अद्भूत कहानी विस्तारपूर्वक सुनाई।

उन्होंने कहा कि सतयुग और त्रेतायुग में एक ही आदि सनातन देवी-देवता धर्म का राज्य था। सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला संपूर्ण, संपूर्ण निर्विकारी, मर्यादा पुरूषोत्तम, अहिंसा परमो देवी देवता धर्म- ये महिमा देवताओं की थी लेकिन द्वापर युग से विकारों की प्रवेशता होने पर देवी-देवताओं ने अपनी शक्ति खो दी और स्वयं को देवी-देवता न कहकर हिन्दू समझने लगे। वास्तव में हिन्दू के बजाय हम देवी-देवता धर्म के हैं।

*ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी* ने आध्यात्मिक रहस्यों को बतलाते हुए कहा कि सत्यनारायण की सच्ची कथा हमें वास्तव में नर से श्रीनारायण और नारी से श्रीलक्ष्मी पद की प्राप्ति करवाता है। हम सुनते हैं कि लकड़हारे, लीलावती-कलावती इत्यादि ने सत्यनारायण की कथा सुनी और जीवन में सुख-शान्ति-सम्पन्नता आ गई लेकिन वह कथा कौन-सी है? यह नहीं बताया जाता। यह प्राप्ति कोई केवल एक बार एक घण्टे सुनने से नहीं बल्कि सतत निरंतर ज्ञान श्रवण से होती है।

वास्तव में सत्यम् शिवम् सुन्दरम् परमात्मा कलयुग के अंत और सतयुग के आदि के संधिकाल – संगमयुग में स्वयं अवतरित होकर इस ज्ञान और गीता में बताए गए प्राचीन राजयोग के द्वारा मनुष्य में दैवी गुणों की धारणा करवाकर उन्हें अपने समान बना देते हैं और आदि सनातन देवी देवता धर्म की स्थापना करते है। और इन्हीं भगवान के समान गुणों को धारण करने वाले 33 करोड़ देवी-देवताओं को हमने भगवान कह दिया। वास्तव में भगवान तो एक ही हैं। त्रेतायुग के अंत तक की जनसंख्या 33 करोड़ होती है जो पूज्यनीय देवी-देवता कहलाते हैं।

अंत में सभी ने सत्यनारायण देव विष्णु चतुर्भूज की आरती की। सभी को पंचामृत व प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक गण उपस्थित रहे।

Continue Reading
Advertisement