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सकारात्मक चिंतन में है पित्र दोष से मुक्त होने के सहज उपाय – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

सादर प्रकाशनार्थ:
प्रेस विज्ञप्ति
**सकारात्मक चिंतन में है पित्र दोष से मुक्त होने के सहज उपाय – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*
*श्राद्ध पर करें सभी को अपनत्व देने का संकल्प…*
*देवी-देवताएं ही सभी के पूर्वज हैं*
बिलासपुर टिकरापाराl प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय प्रभु दर्शन भवन में टिकरापारा सेवाकेंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी नें पित्र पक्ष में श्राद्ध का अध्यात्मिक रहस्य समझाते हुए उपस्थित साधकों को संबोधित करते हुए कहां की पित्र अर्थात आत्मा जो भी हमारे पूर्वज हैं वह पित्र है जो घर के बड़े होते हैं वह घर के मुख्य आवश्यकताओं जैसे रोटी कपड़ा मकान के साथ-साथ घर की संभाल भी करते रहते हैं l इसी प्रकार जो पूर्वज हैं वह सतयुग के सबसे आदि में आने वाली आत्माएं हैं और वह हैं देवी देवताऐं l सतयुग में जो महल जो धनसंपदा आदि होंगी उसी से पूरे 5000 वर्ष तक मनुष्य आत्माओं की पालना होनी हैl पूर्वज आत्माएं माना पालना करने वाली आत्माएं l सतयुग की प्रथम जनसंख्या 916108 और अभी की जनसंख्या 7 अरब से भी अधिक इसका अर्थ है जितनी आत्माएं इस रंगमंच पर वर्तमान समय उपस्थित हैं वह सतयुग से जन्म लेते हुए नीचे उतरती आ रही है और गीता में वर्णित कथन के अनुसार परमधाम से भी आत्माएं जन्म लेते हुए यहां आ रही है हम सभी पुनर्जन्म की यात्रा में निरंतर आगे बढ़ते जा रहे हैं l
दीदी ने आगे कहा कि पुनर्जन्म में आते-आते हम अपने को देह समझने लगे हैं क्योंकि अपने पूर्व जन्म को भूल चुके हैं लेकिन परमात्मा हमें बताते हैं कि हम ही पूर्वज हैं क्योंकि आत्मा तो अजर-अमर-अविनाशी सत्ता है। शरीर नष्ट हो जाता है लेकिन आत्मा की यात्रा तो निरंतर चलती ही रहती है। और पूर्वज आत्मा के अंदर प्रेम, दया, रहम, क्षमा की भावना का होना बहुत जरूरी हैl
*संबंधों में हो अपनत्व की* *भावना-* वर्तमान समय संबंध टूटते जा रहे हैं जब बड़े बुजुर्ग हमारे साथ हमारे घर पर होते हैं तो अगर हम उनका ख्याल सही रीति से नहीं रखते और उनकी अपेक्षाओं को हम पूरा नहीं करते और उनके जाने के बाद हम उन्हें तरह-तरह के व्यंजन बनाकर स्वीकार कराना चाहते हैं खुद ही बनाते हैं और हम खुद ही खाते हैं भला इससे बड़ा पितृदोष और क्या होगा l
*सकारात्मक चिंतन में है पितृदोष का समाधान* -दीदी जी ने कहा कि हमें अपने विचारों में अपने व्यवहार में परिवर्तन लाना होगा और सकारात्मक चिंतन के बिना मनुष्य का मानसिक परिवर्तन नहीं होता अतः हम सकारात्मक चिंतन के बिना पित्र दोष से मुक्त नहीं हो सकते l इस कल्याणकारी संगमयुग के समय सच्चा श्राद्ध हमें ही करना है।
सेवाकेन्द्र में गुरूवार को पितृ पक्ष श्राद्ध के अवसर पर पूर्वजों भोग लगाया गयाl
*मानसिक तकलीफ व तनाव से मुक्ति के लिए करें क्षमादान योग…*
दीदी ने बतलाया कि क्षमादान योग जिसमें हम अपनी गलतियों के लिए सूक्ष्म रूप से दूसरों से क्षमा मांग लेते हैं और दूसरों की गलतियों को क्षमा कर देते हैं इससे आत्मा मानसिक तकलीफों व बोझ से मुक्त हो जाती है और शांति व हल्केपन की अनुभूति करती हैं l
श्राद्ध के अवसर पर इस कार्यक्रम में टिकरापारा के समस्त साधक उपस्थित रहे।