Rajrishi
वर्तमान समय गीता ज्ञान के नवोदय का…ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

सादर प्रकाशनार्थ
प्रेस विज्ञप्ति
*वर्तमान समय गीता ज्ञान के नवोदय का…ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*
*सर्वधर्म शास्त्रों में शिरोमणि है श्रीमद्भगवत गीता*
*समस्त मानव जाति का शास्त्र है गीता, सभी धर्म के लोग करें अनुसरण*
*गीता में छिपे हैं आध्यात्मिक व मनोवैज्ञानिक रहस्य*
*राजकिशोर नगर सेवाकेन्द्र में गीता ज्ञान का पहला दिन*
बिलासपुर टिकरापारा :- श्रीमद्भगवत गीता सर्व शास्त्रों में शिरोमणि है। यह केवल हिन्दू धर्म का शास्त्र नहीं अपितु समस्त मानव जाति का शास्त्र है इसलिए इसका अनुसरण हर धर्म के लोगों को करना चाहिए। गीता ही एकमात्र शास्त्र है जिसका सबसे अधिक भाषाओं में अनुवाद हुआ है। यह स्वयं भगवान का गाया हुआ मधुर गीत है, बुद्धिमता की कुंजी है, कमजोर लोगों के लिए टॉनिक है, इसमें अपार संपत्ति छिपी हुई हैं, इसमें आध्यात्मिक व मनोवैज्ञानिक रहस्य छिपे हुए हैं इस गीता ज्ञान यज्ञ में इन रहस्यों का उद्घाटन किया जाएगा।
उक्त बातें राज किशोर नगर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भगवत गीता कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कही। आपने बतलाया कि गीता से हिंसा की प्रेरणा न लें, इससे तो मन के नकारात्मक व सकारात्मक विचारों के युद्ध और उसमें सही निर्णय अर्थात् धर्म के पक्ष में निर्णय लेने की शिक्षा मिलती है।
एक अर्जुन के विषाद की बात नहीं है, आज हर एक व्यक्ति के जीवन में विषाद अर्थात् तनाव, अवसाद का समय आता है और तब यह ज्ञान हमें हमारे संघर्षां का समाधान देता है, दिलशिकस्तपन, अधीरता, तनाव, अवसाद को दूर करता है। यह पारिवारिक, सामाजिक व राष्ट्रीय के साथ वैश्विक स्थिति का भी समाधान देता है। परिवर्तन को अपनाने की क्षमता प्रदान करता है।
दीदीजी ने बतलाया कि भगवान बुद्धिमानों की बुद्धि है जब हम उनसे संबंध जोड़कर योग लगाते हैं तो हमारी विवेक शक्ति जागृत होती है जो युवाओं व छात्र-छात्राओं के लिए बहुत उपयोगी है। आज घर-घर में महाभारत की स्थिति दिखाई दे रही है और इस समय में स्वयं भगवान यदा-यदा हि धर्मस्य… श्लोक के अनुसार धरती पर अवतरित होकर गीता ज्ञान सुना रहे हैं।
दीदी ने जानकारी दी कि सन 1936 से ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा यही गीता ज्ञान प्रतिदिन सुबह सत्संग के रूप में सुनाया जाता है।
पाण्डवों और कौरवों का रहस्य बताते हुए आपने कहा कि युद्ध जैसी स्थिति में भी स्थिर व संतुलित बुद्धि के परिचायक युधिष्ठिर, आत्मबल, मनोबल व परिस्थिति को जड़ से उखाड़ देने की क्षमता भीम को दर्शाता है, अर्जुन अर्थात् ज्ञान का अर्जन करने व भगवान की बातों पर हांजी कर अमल में लाने वाला, नकुल अर्थात् नियमों पर चलने वाले, संयमित व सिद्धांतवादी, सहदेव अर्थात् हर शुभकार्य, धार्मिक कार्य में बिना किसी अपेक्षा के सहयोगी बनना। कौरव अधर्म पक्ष का वाचक है जिसमें धृतराष्ट्र राज्यसत्ता, बाहुबल, भूमिबल और अहंकार से युक्त अंधत्व की निशानी, गांधारी देखते हुए भी देख
ना नहीं चाहती, सभी कौरवों के नाम ‘दु’ शब्द से शुरू होते हैं। धर्म व धन का दुरूपयोग करने वाला दुर्योधन के समान है। जिसके जीवन में अनुशासन नहीं वह दुस्साशन। सभी दुष्टता के भाव वाले।
अंत में सभी ने गीता माता एवं भारत माता की आरती की।