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Rajrishi

सांसारिक बंधनों से मुक्त बनाता है आत्मिक ज्ञान – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

*विज्ञप्ति के साथ आज की वीडियो लिंक*

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*कल की वीडियो लिंक*

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सादर प्रकाशनार्थ

प्रेस विज्ञप्ति

*सांसारिक बंधनों से मुक्त बनाता है आत्मिक ज्ञान – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*

 

*बातों को पकड़े रहने से हो जाता है मन का पैरालिसिस…*

 

*धर्मयुद्ध से बड़ा अन्य कोई कल्याणकारी मार्ग नहीं…*

 

*शिव-अनुराग भवन, राज किशोर नगर में श्रीमद्भगवत गीता का दूसरा दिन*

बिलासपुर राज किशोर नगर :- बंधन किसी को अच्छा नहीं लगता चाहे वह शारीरिक तकलीफ का बंधन हो, संबंधों में मोह का बंधन हो या किसी के साथ कर्मां के हिसाब-किताब का बंधन। आत्मिक ज्ञान हमें सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त बनाता है। आत्मा अजर-अमर-अविनाशी सत्ता है इसका कभी भी विनाश नहीं होता। अपनी अनन्त यात्रा में वह शरीर रूपी एक वस्त्र का त्याग कर दूसरा वस्त्र धारण करती है।

 

ये बातें ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा शिव-अनुराग भवन, राज किशोर नगर में आयोजित ‘समस्याएं अनेक, समाधान एक -श्रीमद्भगवत गीता’ के दूसरे दिन ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कही। आपने कहा कि जिस प्रकार किसी वस्तु को एक ही स्थिति में लगातार पकड़े रहने से हाथ में दर्द, झुनझुनी और अत्यधिक समय तक पकड़े रहने से पैरालिसिस भी हो सकता है उसी प्रकार जब हम बातों को अपने मन में बहुत समय तक रखे रहते हैं तो मन में भी दर्द होता है और ज्यादा समय तक उसके चिंतन से तनाव, अवसाद की स्थिति बन जाती है इसलिए जितना जल्दी हो सके बातों को खत्म करें।

 

भगवान अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं कि धर्मयुद्ध से बड़ा अन्य कोई भी कल्याणकारी मार्ग नहीं है। शोक करने से पहले ये सोचना आवश्यक है कि हम जिनके लिए शोक कर रहे हैं वे शोक के योग्य हैं भी या नहीं। गीता का ज्ञान हमें हिंसक युद्ध नहीं सिखलाता बल्कि ये तो मनोयुद्ध की बात है। हमें अपने अंदर के विकारों व नकारात्मक विचारों पर जीत पाना है। नकारात्मक विचार ही मोह, विशाद, डिप्रेशन आदि विकारों का आधार है।

 

भरतवंशियों का विशेष गुण सहनशीलता-

दीदी ने कहा कि अर्जुन को भगवान सहनशीलता का पाठ पढ़ाते हुए कहते हैं कि सहन शक्ति तो भरतवंशियों का विशेष संस्कार है। उनकी सहन शक्ति बॉयल फ्रॉग की तरह नहीं है जो कि एक समय आने पर नष्ट हो जाये। वे हर परिस्थिति में एड्जस्टमेन्ट के लिए तैयार रहते हैं, जीवन से थकते या निराश नहीं होते। नम्रता व सहनशक्ति हमें राजऋषि से ब्रह्मऋषि की तरह बना देती है। कई बार हम सहन तो करते हैं लेकिन शीतलता नहीं रहती इसलिए हमें शीतलता के साथ सहन करें। कैसी भी परिस्थिति हो लेकिन श्रीकृष्ण के चेहरे पर हमेशा मधुर मुस्कान ही देखने को मिलती है।

 

दीदी ने बतलाया कि इस गीता ज्ञान का आयोजन माताश्री (सरिता बल्हाल) के निमित्त कराया जा रहा है। बचपन से ही गीता के प्रति उनकी आस्था रही। जब कहीं भी गीता पाठ हो तो वे प्रतिकूल परिस्थिति में भी वहां जाती जरूर थीं। गीता की ही शक्ति से उन्होंने अपनी बेटी को सशक्त समर्पित ब्रह्माकुमारी बनाया। विगत 23 अक्टूबर को उनका देहान्त हुआ।

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