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brahmakumaris Tikrapara

अटेंशन और अभ्यास संस्कार बन जाये तो अटेंशन का टेंशन नही रहेगा:ईश्वरी

*अटेंशन और अभ्यास संस्कार बन जाये तो अटेंशन का टेंशन नही रहेगा:ईश्वरी*

*ज्ञानयुक्त रहमदिल बनने से ही कमजोरियों को दृढ़ता से खत्म कर पायेंगे*

बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे परमात्म महावाक्य पर चिंतन चल रहा है। बीके ईश्वरी बहन ने कहा कि कई बार स्वयं की कमजोरी के कारण कार्य के प्रति अटेंशन तो रहता है पर आलस्य अलबेलेपन के कारण अटेंशन का भी टेंशन हो जाता है। इसलिए कमजोरी को खत्म करने का सहज उपाय अभ्यास है। बार बार अभ्यास से कठिन लगने वाला कार्य भी संस्कार का रूप लेने के कारण सहज हो जाता है। तब सिर्फ अटेंशन से सफलता मिल जाती है।

ईश्वरी बहन ने कहा कि रहमदिल होने के साथ ज्ञानयुक्त होना आवश्यक है। अकसर अपनी कमजोरियों पर रहम कर बैठते है कि अभी बहुत समय है आज नही तो कल सुधार लेंगे। परमात्मा कहते है समय पूर्व अगर कमजोरियों को दूर नही कर पायेंगे तो श्रेय समय को मिल जायेगा और भाग्य पर लकीर लग जायेगी। अपनी कमजोरियों से वैराग्य ज्ञान युक्त दृढ़ता से ही आएगा

 

उपस्थित जिज्ञासुओ ने भ्राता निजार के ब्रह्माकुमार बनने के अनुभव का विडियो देखा। निजार भाई ने अनुभव सुनाते कहा कि बिजनेसमेन होने के कारण अहंकार सहित व्यसन, मांसाहार आदि तमाम बुराइयाँ उनके अंदर थी पर ईश्वर का सत्य परिचय और परमात्मा प्यार का अनुभव उन्हें ब्रह्माकुमारी संस्था से जुड़ने के बाद मिला। इसके बाद सभी बुरी आदते स्वतः छूट गई। अब ऐसा लगता है मै सिर्फ सोचता हू और कार्य बाबा करा देता है।