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brahmakumaris Tikrapara

धोखा खाकर सम्हलना सामान्य बात है, ज्ञानी धोखा खा नही सकते:- बीके गायत्री

प्रेस विज्ञप्ति
सादर प्रकाशनार्थ

*अभिमान ही अपमान को महसूस कराता है, करनकरावनहार परमात्मा है – यह स्मृति अभिमान से मुक्त करती है*

*धोखा खाकर सम्हलना सामान्य बात है, ज्ञानी धोखा खा नही सकते:- बीके गायत्री*

बिलासपुर:- *शिव अनुराग भवन राजकिशोर नगर* मे परमात्म महावाक्य पर चिंतन करते गायत्री बहन ने कहा कि देहभान से साधक सहज मुक्त हो जाते है। साइंस भी बेहोशी का उपाय कर कुछ समय के लिए शारीरिक कष्ट से मुक्त कर देती है। पर देह अभिमान सूक्ष्म विकार है जो अपमान का बोध कराता है। अपने बुद्धि का, श्रेष्ठ संस्कार का, अच्छे स्वभाव का, विशेषताओं का, विशेष कला का, सेवा की सफलता का अभिमान सूक्ष्म होने के कारण उन्नति मे बाधक है इसे समझ चेक कर चेंज करना आवश्यक है।

गायत्री बहन ने कहा कि करनकरावनहार परमात्मा है यह स्मृति अभिमान से मुक्त करती है क्योंकि विशेषताओं के दाता परमपिता परमात्मा है।
आगे कहा कि बुद्धि साफ हो अर्थात दिव्य बुद्धि हो तो संकल्प अवश्य सिद्ध हो जाएगा । जैसे हाथ की सफाई से जादू दिखाते है वैसे सिद्धि कोई बड़ी चीज़ नही है सिर्फ दिव्य बुद्धि की सफाई है।
अतः राजयोग के अभ्यास से बुद्धि मे एकाग्रता आती है और यह अभ्यास निरंतर रहे तो अवश्य ही बुद्धि दिव्य बुद्धि बन जाती है