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पिताश्री ब्रह्माबाबा की 53वीं पुण्यतिथि मनाई गई

बिलासपुर टिकरापारा – प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के साकार संस्थापक पिताश्री ब्रह्माबाबा की 53वीं पुण्यतिथि मनाई गई। संस्था द्वारा यह दिन विश्व शान्ति दिवस के रूप में व जनवरी महीने को तपस्या माह के रूप में मनाया जाता है। सभी सेवाकेन्द्रों में जनवरी महीने में तपस्या के विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। परमात्मा शिवपिता की प्यार भरी याद में लवलीन स्थिति थीम पर 16, 17 व 18 जनवरी को सभी सेवाकेन्द्रों में मुख्यालय माउण्ट आबू से निर्देशित तीन दिवसीय योग साधना कार्यक्रम आयोजित किया गया। साथ ही क्षेत्रीय कार्यालय इंदौर से 1 से 21 जनवरी तक ‘जीना है पिताश्री ब्रह्माबाबा जैसा’ थीम पर 21 दिवसीय योग साधना कार्यक्रम किया जा रहा है।
इस अवसर पर सेवाकेन्द्र में उपस्थित साधकों को पिताश्री के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कहा कि परमात्मा शिव के प्रवेश से पूर्व पिताश्री ब्रह्माबाबा बहुत ही सम्पन्न, सफल व सम्मानित व्यक्ति थे। लेकिन संस्था की स्थापना की शुरूआत में उन्हें बहुत ही विरोध, विघ्न व ग्लानि का सामना करना पड़ा फिर भी परमात्मा पर अटूट निश्चय, सम्पूर्ण समर्पण, विश्व कल्याण की भावना व अपनी त्याग-तपस्या के आधार पर उन्होंने अपने जीवन की सम्पूर्णता को प्राप्त किया और हम सभी ब्रह्मावत्सों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए।
दीदी ने पिताश्री के जीवन के श्रेष्ठ कर्म रूपी 18 कदम सुनाते हुए कहा कि पिताश्री ने अपने पहले कदम में सब कुछ विल कर दिया जिससे उनके अंदर अद्भूत विल पावर आ गई। 2. हर बात में पहले आप करते हुए माताओं-बहनों को आगे रखा और यह पाठ दृष्टि, वृत्ति, वाणी व कर्म में लाया क्योंकि उनमें सभी को अपने से भी ऊंचा बनाने की भावना थी। 3. अपनी लौकिक प्रवृत्ति को अलौकिक बनाया, सोच, बोल व कर्म में परिवर्तन लाया। 4. परमात्म स्नेही के साथ सबके स्नेही व सहयोगी थे। 5. कर्मफल की इच्छा से मुक्त इच्छा मात्रं अविद्या रहे। 6. उनके जीवन में निरंतर योगी पन के लक्षण जैसे नम्रता, निर्मानता व महानता जैसे दिव्य गुण दिखाई देते थे।
ऐसे ही लगावमुक्त, गम्भीरता व रमणीकता का संतुलन, सर्व गुणों में मास्टर सागर, निमित्त व निर्माणचित्त से सच्चे सेवाधारी, त्याग व भाग्य में नम्बर वन, शक्तिशाली मनःस्थिति व शुभभावनाओं से संपन्न, सदा परोपकारी, परिवर्तन शक्ति द्वारा विजयी, आत्मिक स्थिति का सतत अभ्यास आदि उनके जीवन की विशेषताएं रहीं।