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युवाओं में स्व-अनुशासन, गम्भीरता व माधुर्यता का गुण आवष्यक – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

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सादर प्रकाशनार्थ
प्रेस विज्ञप्ति
युवाओं में स्व-अनुशासन, गम्भीरता व माधुर्यता का गुण आवष्यक – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
राष्ट्रीय युवा दिवस पर युवाओं के लिए प्रेरणादायी उद्बोधन
युवाओं में नैतिकता, चरित्र व आध्यात्म का समावेश जरूरी

बिलासपुर टिकरापारा :- मनुष्य जीवन का स्वर्णिम काल है युवाकाल। युवा अर्थात् जिनमें वायु जैसी शक्ति हो, यदि इनकी उड़ान देखना चाहते हैं तो आसमान को भी ऊंचा करना पड़ेगा। युवाओं को अपनी सोच को बदलकर सबसे पहले स्व-अनुशासन का गुण धारण करने की आवष्यकता है क्योंकि युवाओं के तन व मन दोनों में ही अपार शक्तियां समायी हुई है। जितना अधिक से अधिक समाज को देना चाहते हैं, दे सकते हैं। लेकिन स्वयं के अंदर अनुषासन की कमी के कारण कई कार्य करना चाहते भी नहीं कर सकते।
उक्त बातें स्वामी विवेकानंद जयंती अर्थात् राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर युवाओं का उमंग-उत्साह बढ़ाने के लिए प्रेरणादायी उद्बोधन देते हुए ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कही दूसरा मुख्य गुण गम्भीरता का चाहिए क्योंकि देखा जाता है कि युवाओं का समय ऐसे कार्यों में व्यर्थ ही व्यतीत हो जाता है और समय बीत जाने पर पश्चाताप ही रह जाता है कि काष हम वो समय सकारात्मकता में बिताए होते। युवाओं में विल पॉवर भी बहुत होती है यदि गम्भीरता से हर बात को लें तो बहुत आगे बढ़ सकते हैं।
साथ ही हर्षितमुखता व माधुर्य का गुण चाहिए क्योंकि जिन्दगी में फूल जैसी मुस्कुराहट जरूरी है इस मुस्कान से गम को भुलाया जा सकता है और जीतकर मुस्कुराना कोई बड़ी बात नहीं है यदि असफल हो गए तब भी यदि मुस्कुरा सकते हैं तो समझो जीना आ गया। क्योंकि इस प्रतियोगितात्मक जीवन में यदि लक्ष्य प्राप्त नहीं भी कर पाते तो उस दौर में बहुत सी बातें सीखने को मिलती हैं। और गिरकर उठने का मजा या हार के बाद की जीत का आनन्द कुछ अलग होता है। इसलिए याद रखें कि ईष्वर अपने साथ है तो डरने की क्या बात है, सदा सफलता साथ हमारे हाथ में उसके हाथ है।
आज के भागदौड़ और कॉम्पीटिषन के समय में युवाओं में क्रियेटिविटी, प्रेज़ेन्स ऑफ माइण्ड व आलराउण्डर जैसी विशेषताओं का होना जरूरी है, तब ही हम सर्वाइव कर सकेंगे। इतना ज्यादा आवेग में न आ जाएं कि हम समाज या देश के लिए कुछ कर न पाएं। क्योंकि हम सभी जानते हैं हमारे भारत देश को आजाद कराने में जिन युवाओं का योगदान रहा, आजतक हम उन युवाओं को याद करते हैं।
नैतिकता, चरित्र व आध्यात्म के कारण ही भारत की महिमा है….
युवा यदि अपना चरित्र का उत्थान करते हैं तो निष्चित ही भारत मां के लिए उनका योगदान होगा। क्योंकि जिस प्रकार मोती की परत उतर जाने पर मोती की कीमत समाप्त हो जाती है उसी प्रकार व्यक्ति का चरित्र गिर जाने पर व्यक्ति की कीमत समाप्त हो जाती है। आज भारत की जितनी भी महिमा है वो भारत की आर्थिक स्थिति के कारण नहीं अपितु नैतिकता, चरित्र व आध्यात्म की वजह से है। और ये सभी चीजें वृद्ध अवस्था में अपनाने की नहीं है क्योंकि स्वामी विवेकानंद को ही देखें तो उन्होंने युवा अवस्था में ही आध्यात्म को स्थान दिया है। आध्यात्म कोई घर-गृहस्थ को छोड़ना नहीं है। आध्यात्म अर्थात् दो सौ प्रतिषत जीवन जीना। सौ प्रतिशत आध्यात्मिक और सौ प्रतिषत भौतिक। अतः आध्यात्मिकता को सभी जरूर अपनाएं इससे भौतिकता स्वतः ही पीछे-पीछे आएगी और नैतिकता के बल पर आप जीवन का भरपूर आनन्द ले पायेंगे।
युवाओं का आह्वान करते हुए दीदी ने कहा कि अपना जीवन ऐसा दिव्य बनाएं कि आपको देखकर आपके अभिभावक, आपके शिक्षक या कोई भी आपको अपना आदर्ष माने। आपके पिता के मुख से भी यही निकले कि तूझे सूरज कहूं या चन्दा, दीप कहूं या तारा, मेरा नाम करेगा रौषन जग में मेरा राज दुलारा।