Rajrishi
संकल्प शक्ति पर आधारित महावाक्यों पर लिया गया मूल्यांकन

बिलासपुर टिकरापारा :- व्यर्थ व नकारात्मक संकल्पों की गति तीव्र व संख्या में अधिक होती है। ये जंगल के समान हैं जो फैलते ही जाते हैं। जबकि सकारात्मक विचार धीमे, संख्या में कम, कम समय के लिए व शक्ति देने वाले होते हैं। ये एक तरह से बगीचे के समान हैं जिन्हें विकसित करना पड़ता है। संकल्पों की गति के अनुसार हमारे चेहरे बदलते रहते हैं। जब हमारे मन में अनेक विचार चलते हैं तो माथे पर चिंता की लकीर दिखने लगती है। एक विचार अन्य विचारों को जन्म देने लगता है। जैसे शरीर की बीमारी को नब्ज की गति देखकर पता करते हैं। वैसे ही मन की बीमारी विचारों की गति से पता लगती है।
उक्त बातें ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने परीक्षा के विषय को विस्तार करते हुए कही। आपने बतलाया कि जैसे दवा लेकर, इंजेक्षन लगाकर या ग्लूकोज़ की बोतल चढ़़ाकर शरीर की बीमारी को ठीक किया जाता है। ऐसे ही बीमार व कमजोर मन को स्वस्थ करने के लिए मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं, मैं खुषनसीब आत्मा हूं… जैसे स्वमानों का अभ्यास, प्रतिदिन के सत्संग के पॉइन्ट्स को याद करना, अच्छे विचारों का मनन-चिंतन करना आदि विधियां अपनायी जाती हैं।
हमारे बोल भी ऐसे समर्थ हों जो दो बोल सौ बोल का कार्य सिद्ध करे। इसका बीज हमारे संकल्प हैं और सफलता उसका फल है। इन्हीं संकल्पों की शक्ति पर आधारित प्रष्नों पर मूल्यांकन लिया गया। प्रश्नों में प्रैक्टिकल जीवन में अपनाए गए ज्ञान की पॉइन्ट्स का भी प्रश्न था। टिकरापारा के साधकों की परीक्षा प्रातः 8 से 9 बजे हुई वहीं राजकिशोर नगर के शिव अनुराग भवन में शाम 6 से 7 बजे साधकों ने परीक्षा दी, इसी समय पर ऑनलाइन जुड़े साधकों ने भी परीक्षा दी।
साधकों की अन्य विषयों पर 16, 17 व 18 फरवरी को भी परीक्षाएं आयोजित होंगी। साधकों के साथ समर्पित ब्रह्माकुमारी बहनें भी परीक्षा में सम्मिलित हुईं। जोनल स्तर पर बहनें 19 फरवरी को परीक्षा देंगी। उत्कृष्ट प्राप्तांक वालों को महाशिवरात्रि कार्यक्रम में पुरस्कृत किया जायेगा।