Rajrishi
एकाग्रता व स्थिरता की जीवन्त मिसाल दे रहीं चैतन्य देवियां

सादर प्रकाशनार्थ
प्रेस विज्ञप्ति
*एकाग्रता व स्थिरता की जीवन्त मिसाल दे रहीं चैतन्य देवियां*
*शिव-अनुराग भवन में चैतन्य देवियों की झांकी व आध्यात्मिक चित्र-प्रदर्शनी का आयोजन*
राज किशोर नगर :- जीवन के हर क्षेत्र में हमें आध्यात्मिकता की जरूरत होती है। दैनिक जीवन में तनावमुक्त रहने, संबंधों में मधुरता, पढ़ाई में एकाग्रता, कर्म में कुशलता लाने, मन को शान्त रखने, व्यवहारकुशल बनने सभी में ध्यान व सकारात्मक चिंतन की भूमिका अहम है। इन सभी के लिए भगवान ने गीता में भारत के प्राचीन राजयोग की शिक्षा दी है। इसी राजयोग के निरंतर अभ्यास से चैतन्य देवियां मन व तन की एकाग्रता व शारीरिक स्थिरता की जीवन्त मिसाल प्रस्तुत कर रही हैं।
उक्त बातें राज किशोर नगर के ब्रह्माकुमारीज़ सेवाकेन्द्र के षिव-अनुराग भवन में आयोजित चैतन्य झांकी दर्शन के लिए आए हुए श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए बताते हुए ब्रह्मा कुमारी मंजू दीदी जी ने कही। गायत्री बहन ने बतलाया कि प्रतिदिन रात्रि 8 बजे देवियों की आरती की जाती है और रात्रि 11 बजे तक दर्षन होते हैं। कल सजी देवियों में एक से लेकर 22 वर्षों तक राजयोग की साधना कर रही बहनें विराजित रहीं। इसमें कु. जानवी, हर्षिका, रीना गंगवानी, रिनी कर्माकर, नेहा खैरवार, सृष्टि साहू, लवलीन बहन, गणेश्वरी बहन व ब्रह्माकुमारी शशीप्रभा बहन शामिल थे।
राजयोग प्रशिक्षक राकेश गुप्ता ने आध्यात्मिक चित्र प्रदर्शनी में आत्मा के बारे में समझाते हुए कहा कि पांच तत्वों से बने इस शरीर की मालिक आत्मा है जो मन, बुद्धि और संस्कार से निर्मित है। मन है विचारशक्ति, बुद्धि है निर्णय शक्ति और संस्कार है कर्म शक्ति। आत्मा का निवास इस शरीर में मस्तक के मध्य में है जहां भाई तिलक व माताएं-बहनें बिन्दी लगाते हैं। जिस प्रकार एक ड्राइवर वाहन के आगे के हिस्से में बैठकर वाहन को नियंत्रित करता है। उसी प्रकार हमारा मस्तिष्क इस शरीर रूपी गाड़ी का कन्ट्रोल रूम है और आत्मा इसकी कन्ट्रोलर।
*आहार की शुद्धता पर व्याख्यान माला का आयोजन…*
सेवाकेन्द्र पर प्रतिदिन शाम 7 से 8 बजे आहार को सात्विकता पर आधारित पुस्तक *योगी जीवन की आधारशिला – ब्रह्माभोजन* पर अनुभवयुक्त व्याख्यानमाला चल रही है। और नवरात्र या अन्य सनातन त्योहारों में या यूं कहें कि दैनिक जीवन में ही सात्विक भोजन का बहुत महत्व है जिसे सभी को समझना चाहिए।