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Brahma Kumaris Raj Kishore Nagar

शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे पाजिटिव थिंकिंग की क्लास

शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे पाजिटिव थिंकिंग की क्लास व मौली धागा अपनाएं, देश की संस्कृति बचाएं पर कार्यशाला*

शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे पाजिटिव थिंकिंग की क्लास व मौली अपना है देश की संस्कृति बचाएं पर कार्यशाला* *मौली धागा दैवीय शक्तियों से भरपूर श्रेष्ठ रक्षा-सूत्र: ममता पाण्डे* फ्रेंडशिप डे पर प्लास्टिक या रबर के बैंड की जगह मौली धागा बांधे बच्चे व युवा *अपकारियो पर भी घृणा भाव न आये तब कहेंगे नेचुरल पवित्र: बीके मंजू

बिलासपुरः रक्षाबंधन पर बंधी फैंसी राखी शाम रात तक कलाई से उतर जाती है जबकि मौली धागा महिनो कलाई की शोभा बढाती है। यह बाते शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे मौली धागा के महत्व पर चर्चा करते ममता पाण्डे ने कही। उन्होंने कहा कि शास्त्रों मे कथा श्रवण के पूर्व रक्षा सूत्र के रूप मे मौली धागा बांधने की परंपरा है। इससे कलाई मे नाड़ियों पर विशेष दबाव बनता है जिससे ज्यादा देर बैठने की शक्ति मिलती है और एकाग्रता भी बढती है। मौली धागा मे त्रिदेवों के साथ दैवीय शक्तियों का वास होता है। उन्होंने मौली धागा से आकर्षक रक्षासूत्र बनाने की विधि बताई और सभी से विशेष कर युवाओं व बच्चों से आह्वान किया कि आगामी फ्रेंडशिप डे और रक्षाबंधन मे मौली धागा का प्रयोग करे। परमात्मा के महावाक्य पर चिन्तन करते मंजू दीदी ने कहा कि ग्लानि करने वाले अपकारियो पर भी उपकार की भावना, शुभ भावना दिल से निकले तब कहेंगे नेचुरल पवित्र जीवन। ब्रह्मा बाबा, वरिष्ठ दादियो ने चौदह वर्षों तक तप करके ऐसी स्थिति प्राप्त कर ली थी। आगे कहा कि विश्व मे अशांति का कारण भी अपवित्रता है। इसमे काम विकार मुख्य है पर क्रोध और लोभ भी अपवित्रता है। शांति आत्मा का स्वधर्म है। शांत स्वरूप मे स्थित हो परमात्मा की छत्रछाया का अनुभव करने से विघ्न दूर से ही भाग जायेंगे।

*मौली धागा दैवीय शक्तियों से भरपूर श्रेष्ठ रक्षा-सूत्र: ममता पाण्डे*
 फ्रेंडशिप डे पर प्लास्टिक या रबर के बैंड की जगह मौली धागा बांधे बच्चे व युवा
*अपकारियो पर भी घृणा भाव न आये तब कहेंगे नेचुरल पवित्र: बीके मंजू*
बिलासपुरः रक्षाबंधन पर बंधी फैंसी राखी शाम रात तक कलाई से उतर जाती है जबकि मौली धागा महिनो कलाई की शोभा बढाती है। यह बाते शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे मौली धागा के महत्व पर चर्चा करते ममता पाण्डे ने कही।
उन्होंने कहा कि शास्त्रों मे कथा श्रवण के पूर्व रक्षा सूत्र के रूप मे मौली धागा बांधने की परंपरा है। इससे कलाई मे नाड़ियों पर विशेष दबाव बनता है जिससे ज्यादा देर बैठने की शक्ति मिलती है और एकाग्रता भी बढती है। मौली धागा मे त्रिदेवों के साथ दैवीय शक्तियों का वास होता है।
उन्होंने मौली धागा से आकर्षक रक्षासूत्र बनाने की विधि बताई और सभी से विशेष कर युवाओं व बच्चों से आह्वान किया कि आगामी फ्रेंडशिप डे और रक्षाबंधन मे मौली धागा का प्रयोग करे।
परमात्मा के महावाक्य पर चिन्तन करते मंजू दीदी ने कहा कि ग्लानि करने वाले अपकारियो पर भी उपकार की भावना, शुभ भावना दिल से निकले तब कहेंगे नेचुरल पवित्र जीवन। ब्रह्मा बाबा, वरिष्ठ दादियो ने चौदह वर्षों तक तप करके ऐसी स्थिति प्राप्त कर ली थी।
आगे कहा कि विश्व मे अशांति का कारण भी अपवित्रता है। इसमे काम विकार मुख्य है पर क्रोध और लोभ भी अपवित्रता है। शांति आत्मा का स्वधर्म है। शांत स्वरूप मे स्थित हो परमात्मा की छत्रछाया का अनुभव करने से विघ्न दूर से ही भाग जायेंगे।